व्यापम: मौत के आंकड़ों में उलझे सवाल, जांच चलते हुआ खूनी खेल
व्यापम: मौत के आंकड़ों में उलझे सवाल, जांच चलते हुआ खूनी खेल
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मध्यप्रदेश/भोपाल: व्यापम कांड कोई यों ही इतनी चर्चा का विषय नहीं बना है । इस कांड में अपराध भी बहुत बड़ा है; इसमें शामिल लोगों की संख्या भी बड़ी है और कई शामिल लोग भी बहुत बड़े हैं । इस कांड से जितने लोगों का भविष्य प्रभावित हुआ होगा; उसका तो अनुमान करना भी बहुत मुश्किल है और वह संख्या तो बहुत ही बड़ी है । ऐसे में जबकि कांड की जांच चल रही हो, उसी दौरान एक के बाद एक कई संबन्धित लोगों की संदिग्ध अवस्था में मौत तो इस कांड को बहुत ही गंभीर, रहस्यमय और चिंताजनक बना रही हैं । इसलिए सब जगह इस कांड का सर्वाधिक चर्चा का विषय बन जाना स्वाभाविक ही है ।

लेकिन, ऐसे अधिक चर्चित हो जाने वाले मामलों में अक्सर हम मूल मुद्दों से भटक जाते हैं और कम महत्व की बातें अधिक महत्व पाने लगती है । जैसे अब यहाँ बहुत-सारी बहस इस बात पर हो रही है कि असल में कितने लोगों की मौत, इस मामले से जुड़े होने के कारण हुई । जबकि अधिक महत्वपूर्ण यह है कि इस समय चल रही जांच सही ढंग से चले, किसी ईमानदार व विश्वसनीय अथॉरिटी की निगरानी में और उतने ही विश्वसनीय अधिकारी के निर्देशन में हो; ताकि पूरा सच सामने आये, कांड का सरगना और सभी अन्य दोषी भी बेनकाब हो और फिर उन्हे समुचित सजा मिले ।

इस मामले में विपक्षियों और व्हिसल-ब्लोवर द्वारा सीबीआई जांच की मांग काफी समय से की जा रही थी; पर सरकार नहीं मान रही थी । अब कल रात को हुई चिंता और चिंतन के कारण आखिरकार, मुख्यमंत्री शिवराज इस बात के लिए तैयार हो गए कि उनकी सरकार भी सुप्रीम कोर्ट से CBI जांच की मंजूरी का निवेदन करेगी । अब तक हुए घटनाक्रम से जांच एजन्सी ‘एसटीएफ़’ अब विश्वसनीय नहीं रही थी । इसलिए शिवराज देर से आए पर दुरुस्त आ गए । इससे सरकार की भूमिका व नियत पर उठ रहे कई सवालों पर कुछ हद तक विराम लगेगा ।

हालांकि, कल तक तो सरकार की ओर से कई बड़े मासूमियत भरे बयान आ रहे थे कि कोई भी चर्चित मौत व्यापम से जुड़ी नहीं है । जबकि, सामान्य समझ से भी सोचे और इन चर्चित 46 मौतों से संबन्धित जानकारी पर गौर करे तो कोई भी मानेगा कि कम-से कम 25-27 मौते संदिग्ध कारणों से हुई हैं । सीधी बात तो यह है कि यदि इस कांड से जुड़े एक भी व्यक्ति की मौत संदिग्ध है, तो वह इस कांड पर एक खूनी धब्बा लगा देती है; उसे एक नया रंग, नया मोड़ दे देती है । इसलिये मात्र आंकड़ो पर बहस करने व कारणों का ऊपर-ऊपर से विश्लेषण करने के बजाय हर संदिग्ध मौत की व्यवस्थित व विश्वसनीय जांच होना चाहिये ।       

इस मामले में प्रदेश कांग्रेस बड़ा शोर मचा रही है; लेकिन क्या वह पूरी तरह से अछूती या पाक-साफ है ?उसके भी कुछ नेता संदेह के घेरे में है । परंतु, फिलहाल तो उसे राज्य सरकार को घेरने का एक बड़ा मुद्दा मिल गया । इसलिए वह इसे पूरी तरह भुनाने में लग गई । हालांकि, जानकारी तो यह है कि, कांग्रेस राज के दौरान ही यह गौरख-धंधा शुरू हो गया था ।

खैर, अब उम्मीद की जा सकती है कि सुप्रीम कोर्ट CBI जांच की इजाजत देगा और जल्द से जल्द एक विश्वसनीय जांच हो जायगी । साथ ही अब सरकार यह भी ध्यान रखेगी कि कोई और संदिग्ध मौत इस सिलसिले में न हो । जिसके लिए व्हिसल ब्लोवर सहित जो भी खतरे में है उनकी पुख्ता सुरक्षा की व्यवस्था होना बहुत जरूरी है । इसलिए भी जरूरी है कि वे निडर होंगे तभी तो कांड की सही-सही जानकारियाँ देंगे और दिग्गज दोषियों के नाम भी सामने आ पाएंगे ।                      

   हरिप्रकाश विसंत

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