महिलाये इस दिन करेंगी गणगौर का विसर्जन, ऐसे रखे व्रत
महिलाये इस दिन करेंगी गणगौर का विसर्जन, ऐसे रखे व्रत
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चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर तीज मनाई जाती है। इसके साथ ही इस साल गणगौर तीज 27 मार्च शुक्त्रवार के दिन आ रही है। इसके अलावा गणगौर तीज के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और शिव और पार्वती मा की पूजा करती हैं। इसके साथ ही गणगौर तीज को कई जगहों पर गौरी तृतीया के नाम से भी जाना जाता है। वहीं पर्व राजस्थान और मध्यप्रदेश में खूब मनाया जाता है और इस पर्व के दौरान महिला व्रत कर भगवान शिव जी से अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। इसके साथ ही गणगौर तीज के दिन सुहागिनें और कुंवारी कन्या व्रत रखती है और देवी पार्वती और शिवजी की विशेष पूजा करती है। वहीं ऐसी मान्यता है कि इस दिन शिव और मा पार्वती की पूजा करने से पति की आयु लंबी हो जाती है और घर-परिवार में खुशहाली बनीं रहती है। इसके साथ ही ये व्रत दोपहर तक रखा जाता हैं और व्रत के दौरान केवल एक बार ही भोजन किया जाता है।

इस तरह से रखा जाता है व्रत
इस दिन सुहागिनें अच्छे से अपना श्रृगार करती हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें की गणगौर तीज के दिन महिलाएं मेहंदी भी जरूर लगाया करती हैं। जबकि कई महिलाएं सुहगनों वाले वस्त्र भी पहना करती हैं। वहीं इस दिन महिलाएं नाच और गाना गाया करती है। वहीं व्रत धारण रखने से पहले महिलाएं मिट्टी की गौरी बनाती है। जिसे रेणुका कहा जाता है। रेणुका की स्थापना करके उनकी पूजा की जाती हैं। साथ में ही गौरी जी की कथा भी पढ़ी जाती है। इसके साथ ही रेणुका की पूजा करने के बाद उनका विसर्जन किया जाता है। वहीं विसर्जन के दौरान महिलाएं गीत भी गाया करती है और गीत गाते हुए मा का विसर्जन करती हैं। वहीं गणगौर तीज के दिन भगवान शिव और पार्वतीजी की पूजा करने से सौभाग्य का वरदान दिया था। इसके साथ ही इस दिन स्नान करने के बाद भगवान शिव के साथ ही मा पार्वती, भगवान गणेश, कार्तिकेय स्वामी और नंदी की पूजा की जाती है। 2. पूजा करते समय सबसे पहले इन्हें गंगाजल अर्पित किया जाता है। इसके बाद जल अर्पित करने के बाद दूध, दही, शहद, घी, शकर, चंदन और केसर को एक साथ मिलाकर सबको चढ़ाया जाता है। वहीं ये चीजें चढ़ाने के बाद चंदन, चावल, बिल्वपत्र, आकड़े के फूल और धतूरा अर्पित किए जाते हैं। फिर आरती की जाती है।इसके साथ ही  3 .रेणुका की स्थापना करने के बाद और उनको सिंदूर चढ़ाया जाता है। 4. सिंदूर चढ़ाने के बाद इसी सिंदूर से ही अपनी माग भरी जाती है। वहीं पूजा करने के बाद रेणुका की मूर्ति को पानी में प्रवाहित कर दिया जाता है।

गणगौर तीज का महत्व
इस व्रत को शादीशुदा महिलाएं जरूर रखती हैं। इसके साथ ही इस व्रत को रखने से पति सेहतमंद रहता है और परिवार में शाति बनीं रहती है। वहीं कुंवारी कन्या भी इस व्रत को रखा करती हैं। इसके साथ ही कुंवारी कन्या अगर ये व्रत करती हैं तो उन्हें सच्चा जीवन साथी मिल जाता है। वहीं इसलिए जो महिलाएं कुंवारी हैं वो इस व्रत को जरूर रखें और अच्छे जीवन साथी की कामना करें।

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