कम रहा इस बार मतदान का प्रतिशत, जानिए पिछले 20 सालो का रिकॉर्ड
कम रहा इस बार मतदान का प्रतिशत, जानिए पिछले 20 सालो का रिकॉर्ड
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इंदौर: नगर निगम चुनाव को लेकर लम्बे समय से उम्मीदों के पूल बांधे जा रहे थे, लेकिन कोरोना गाइड लाइन के कारण बीते दो सालो से चुनाव टलते गए लेकिन साल 2022 उम्मीदवारों और नेताओ के लिए नई उम्मीद लेकर आया और चुनावी बिगुल बजते ही टिकट के दावेदार पार्टी कार्यलय और अपने समर्थित नेताओ के चककर काटने लग गए, कई उम्मीदवारों  के अरमान तो उसी समय ठन्डे हो गए जब उन्हें टिकट नहीं मिला, जिसका असर चुनाव के दौरान पार्टी में हुई गुटबाजी के तौर पर देखने को मिला इसके अलावा मतदान पर खूब असर दिखाई दिया और रही सही कसर कल के गिरते मतदान प्रतिशत ने पूरी कर दी।

नगर निगम चुनाव में महापौर प्रत्याशी पद के लिए विधानसभावार आए वोटिंग के आंकड़ों ने सत्ताधारी दल बीजेपी की धड़कनें बढ़ा दी हैं। बीते चुनाव फरवरी 2015 में हुई 62.35 फीसदी वोटिंग से भी कम प्रतिशत रहा और 60.88 फीसदी वोटिंग प्रारंभिक तौर पर दर्ज की गई और 18.35 लाख मतदाताओं में से केवल 11.17 लाख ने वोट डाले। बीजेपी का आरोप है कि बीएलओ, अधिकारियों की चूक और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के समय मतदाता सूची में की गई त्रुटियों के चलते एक लाख मतदाता वोट डालने से वंचित रह गए। वहीं चिंता की बात ये है कि निगम सीमा में शामिल 6 विधानसभाओं में से सबसे ज्यादा वोटिंग कांग्रेस प्रत्याशी और विधायक संजय शुक्ला की विधानसभा एक में ही हुई है और संख्या के साथ ही वोटिंग प्रतिशत के हिसाब से भी सबसे ज्यादा ढाई लाख मतदाताओं ने यहीं वोट डाले।

विधानसभा दो में औसत से भी कम वोटिंग:-
बीजेपी को हमेशा 70 हजार की लीड दिलाने वाली विधानसभा दो (विधायक रमेश मेंदोला के क्षेत्र) में इस बार औसत से भी कम केवल 58.31 फीसदी वोटिंग हुई। विधानसभा चार जो बीजेपी का दूसरा बड़ा गढ़ है और जहां से 30-40 हजार वोट की लीड मिलती है, वहां बीते विधानसभा चुनाव (2018) से भी कम वोटिंग हुई है। साल 2018 में यहां 1.65 लाख करीब वोट डले थे, वहीं निगम चुनाव में 1.58 लाख ही वोट डले। ऐसे में बीजेपी को अपनी लीड गंवाना पड़ सकती है। विधानसभा तीन जो बीजेपी की सीट है वहां भी विधानसभा चुनाव से कम वोटिंग हुई है। उधर कांग्रेस की मजबूत माने जाने वाली सीट राऊ (कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी) में भी औसत से अधिक वोटिंग हुई है।

विधानसभावार वोटिंग प्रतिशत:-
विधानसभा 1 - 3.91 मतदाताओं में से 2.50 लाख यानि 63.88 फीसदी वोटिंग।
विधानसभा 2 - 4 लाख मतदाताओं में से 2.33 लाख वोटिंग यानि 58.31 फीसदी।
विधानसभा 3 - 1.90 लाख मतदाताओं में से 1.17 लाख वोटिंग यानि 61.65 फीसदी।
विधानसभा 4 - 2.48 लाख मतदाताओं में से 1.58 लाख वोटिंग यानि 63.79 फीसदी।
विधानसभा 5 - 3.97 लाख मतदाताओं में से 2.30 लाख वोटिंग यानि 58.06 फीसदी।
विधानसभा राऊ - 2.07 लाख मतदाताओं में से 1.24 लाख वोटिंग यानि 61.36 फीसदी।

निगम में कुल वोटिंग आंकड़ा:-
कुल 18.35 लाख वोटिंग में से 11.17 लाख वोटिंग यानि 60.88 फीसदी। पुरुष मतदाता 9.36 लाख में से 5.90 लाख वोटिंग यानि 63 फीसदी। महिला मतदाता 8.99 लाख में से 5.22 लाख वोटिंग यानि 58 फीसदी वोटिंग।

बीते निगम चुनाव में वोटिंग प्रतिशत और हार-जीत का अंतर:-
साल 1999 में - बीजेपी के कैलाश विजयवर्गीय कांग्रेस के सुरेश सेठ से 1.54 लाख वोट से जीते, वोटिंग प्रतिशत - 40 फीसदी।
साल 2004 में - बीजेपी की डॉ. उमाशशि शर्मा कांग्रेस की शोभा ओझा से 21 हजार 520 वोट से जीती थीं, वोटिंग प्रतिशत 55.38 फीसदी।
साल 2009 में - बीजेपी के कृष्णमुरारी मोघे कांग्रेस के पंकज संघवी से 3292 वोट से जीते थे, वोटिंग प्रतिशत 59.41 फीसदी।
साल 2015 में - बीजेपी की मालिनी गौड़ 2.46 लाख वोट से कांग्रेस की अर्चना जायसवाल से जीती थीं, वोटिंग प्रतिशत 62.35 फीसदी।

निगम परिषद में बंपर वोटिंग:-
वहीं जिले की आठ निगम परिषद में कुल 76 फीसदी वोटिंग हुई है। सबसे ज्यादा हातोद में 87.98 फीसदी वोटिंग हुई। बेटमा में 82.35 फीसदी, देपालपुर में 78.30 फीसदी, गौतमपुरा में 82.83 फीसदी, महूगांव में 68.40 फीसदी, मानपुर में 79.95 फीसदी, राउ में 74.17 फीसदी और सांवेर में 72.16 फीसदी।

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