28 नवंबर को है विवाह पंचमी, भूल से भी इस दिन ना करें विवाह
28 नवंबर को है विवाह पंचमी, भूल से भी इस दिन ना करें विवाह
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हिंदू पंचांग को माना जाए तो इसके अनुसार, मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है। जी हाँ और इस साल विवाह पंचमी 28 नवंबर को मनाई जाएगी। आप सभी को बता दें कि धार्मिक ग्रंथों में इस तिथि का विशेष महत्व माना गया है। जी हाँ और ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था, इस वजह से विवाह पंचमी का ये पावन पर्व भगवान श्री राम और माता सीता के विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा एक मान्यता ऐसी भी है कि इस दिन तुलसी दास जी के द्वारा रामचरितमानस भी पूरी की गई थी। जी हाँ और इस दिन मंदिरों में भव्य आयोजन किए जाते हैं और लोग पूजन, अनुष्ठान करते हैं। अब हम आपको बताते हैं विवाह पंचमी का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि


विवाह पंचमी 2022 शुभ मुहूर्त- जी दरअसल पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष के दिन विवाह पंचमी की शुरुआत 27 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 25 मिनट से हो रही है। यह तिथि 28 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी। इसके चलते उदया तिथि के अनुसार, विवाह पंचमी इस साल 28 नवंबर को मनाई जाएगी।

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विवाह पंचमी 2022 पूजा विधि- पंचमी के दिन प्रातः उठकर स्नानादि करने के बाद भगवान राम का ध्यान करें। इसके लिए एक चौकी पर गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध करें और आसन बिछाएं। इसके बाद चौकी पर भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित करें। अब प्रभु श्री राम को पीले और सीता जी को लाल वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद दीप प्रज्वलित करके तिलक करें और फल-फूल नैवेद्य अर्पित करते हुए पूजा करें। अब इस दिन पूजन के दौरान बालकाण्ड में दिए गए विवाह प्रसंग का पाठ करना चाहिए। कहा जाता है इस दिन रामचरितमानस का पाठ करने से घर में सुख-शांति आती है।

विवाह पंचमी का महत्व- जी दरअसल धार्मिक मान्यता है कि विवाह पंचमी के दिन राम-सीता की पूजा करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। इसके अलावा सुयोग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।

विवाह पंचमी पर नहीं की जाती शादी- विवाह पंचमी भगवान श्री राम और माता सीता के विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। हालाँकि यह दिन शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। ऐसा इस वजह से क्योंकि भगवान राम के साथ विवाह के बाद माता सीता को अपने जीवन में कई दुखों का सामना करना पड़ा था। जी हाँ और इसी के चलते माता-पिता इस दिन अपनी बेटियों की शादी करने से बचते हैं।

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