मोहिनी अवतार में आये भगवान विष्णु
मोहिनी अवतार में आये भगवान विष्णु
Share:

विष्णु पुराण में अब तक आपने देखा समुद्र मंथन आरंभ हो चुका है। वहीं सबसे पहले इस मंथन से हलाहल विष निकलता है जिसका पान भगवान शिव करते हैं। दूसरे नंबर पर इससे लक्ष्मी रूपी कन्या निकलती है जिसके लिए देवताओं और दानवों में युद्ध आरंभ हो जाता है। वहीं सागर पुत्री के रूप में जन्मीं लक्ष्मी के वर के चुनाव के लिए स्वयंवर प्रथा की शुरुआत होती है। आज के एपिसोड में आपने देखा स्वयंवर के दौरान सागर पुत्री के रूप में जन्मीं लक्ष्मी भगवान विष्णु के गले में वरमाला डाल देती हैं। वहीं दोबारा समुद्र मंथन आरंभ होता है इससे ऐरावत हाथी, घोड़ा, कामधेनु गाय, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष जैसे 14 बहुमूत्य रत्न निकलते हैं।

इसके बाद बारी आती है अमृत की। वही अमृत जिसे पाने के लिए समुद्र मंथन आरंभ होता है। अमृत को देखकर दानव आपस में लड़ने लगते हैं। वहीं देवताओं के पास दुर्वासा के श्रापवश इतनी शक्ति नहीं बची थी कि वे दैत्यों से लड़कर उस अमृत का पान कर सकें। निराश देवताओं को देख भगवान विष्णु मोहिनी रूप धारण कर सभागार में पहुंच गए। उन्होंने अपने मोहिनी रूप से दैत्यों का मन मोह लिया। इसके अलावा माया से मोहित होकर दैत्यों ने विश्वमोहिनी रूपी विष्णु से ये कह दिया कि वह ही इस अमृत का बंटवारा करें। फिर भगवान विष्णु ने छल पूर्वक देवताओं को अमृत पान करवा दिया।

आपकी जानकारी के लिए बता दें की इस बीच स्वरभानु नामक एक असुर ने धोखे से अमृत की कुछ बूंदें पी ली थीं। सूर्य और चंद्र ने उसे पहचान लिया और भगवान विष्णु को बता दिया। इससे पहले की अमृत उसके गले से नीचे उतरता, विष्णु जी ने उसका गला सुदर्शन चक्र से काट दिया।वहीं  तब तक उसका सिर अमर हो चुका था। इसी कारण सिर राहु और धड़ केतु ग्रह बना और सूर्य- चंद्रमा से अभी भी द्वेष रखता है। 

टीवी की सीता ने शेयर किया अपनी लाइफ के राम से मिलने का वीडियो

लॉकडाउन बढ़ने की खबर से भारती सिंह का हुआ यह हाल

स्ट्रीट फूड का मज़ा ले रही है टीवी की नागिन अदाकारा मौनी रॉय

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -