1 अप्रैल यानि आज गूंगा पहलवान के नाम से मशहूर वीरेन्द्र सिंह का बर्थडे है. कई मुकाबलों में इस गूंगे पहलावन ने देश का नाम रोशन किया है. वीरेन्द्र सिंह इकलौते इंडियन खिलाड़ी हैं जिन्होंने डेफलंपिक्स (मूक-बधिर लोगों के ओलंपिक) में गोल्ड मेडल जीता. 2005 व 2013 के डेफलंपिक्स में गोल्ड मेडल के साथ वे अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी 5 मेडल जीत चुके हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि वे इकलौते मूक-बधिर पहलवान हैं जो सामान्य पहलवानों से कुश्ती लड़ते हैं व जीतते भी हैं. 10 साल की उम्र से पहलवानी कर रहे वीरेंद्र की ट्रेनिंग मशहूर पहलवान सुशील कुमार के साथ हुई है. उनका लक्ष्य 2016 के रियो ओलंपिक में खेलना है, लेकिन बोल और सुन न पाने के कारण फेडरेशन उन्हें इजाजत नहीं दे रहा. इसके लिए उन्होंने खेल मंत्रालय को चिट्ठी लिखी है.
इस तरह रखा पहलवानी में कदम: बचपन में वीरेंद्र अपने घर के आंगन में बैठे हुए थे जब बाहर से आते हुए उनके रिश्तेदार ने देखा कि उन्हें पैर में दाद हुआ है. उसी का इलाज कराने वो उन्हें दिल्ली ले आए जहां से उनकी कुश्ती की शुरुआत हुई. हालांकि, वीरेंद्र बताते हैं कि उन्हें पहलवानी का शौक घर के पास वाले अखाड़े से लगा. इसी अखाड़े में उनके पिता अजित सिंह भी पहलवानी करते थे.
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