चंडीगढ़: हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर जब सेवानिवृत्त पहलवान विनेश फोगाट ने कांग्रेस पार्टी का दामन थामा है, वह लगातार सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगा रही हैं। यह सभी आरोप उनके चुनावी प्रचार का हिस्सा हैं, लेकिन कई बार वे खुद अपने ही बयानों में उलझ जाती हैं। हाल ही में उन्होंने कुछ ऐसे दावे किए हैं जो एक-दूसरे से विरोधाभासी हैं और उन्होंने अनजाने में खुद अपने ही बयानों की सच्चाई पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
Vinesh Phogat
— Frontalforce ???????? (@FrontalForce) October 2, 2024
Odd Day- No BJP leader called
Even Day- PM Modi called, I rejected pic.twitter.com/OMPg3hmQDc
विनेश फोगाट, जो अब जुलाना विधानसभा सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार हैं, ने हाल ही में कहा कि पेरिस ओलंपिक में अयोग्य ठहराए जाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें फोन किया था, लेकिन उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री की ओर से फोन आया था, लेकिन उन्होंने इस शर्त के चलते बात नहीं की कि उनकी टीम से कोई वहां मौजूद नहीं होगा और बातचीत को रिकॉर्ड किया जाएगा। यह बयान उन्होंने एक साक्षात्कार में दिया, जहां उन्होंने कहा, "फोन आया था लेकिन मैंने बात नहीं की क्योंकि उन्होंने शर्तें रखीं। मैं नहीं चाहती थी कि सोशल मीडिया पर मेरी भावनाओं और मेहनत का मजाक बनाया जाए। अगर उन्हें वास्तव में एथलीटों की परवाह होती, तो वे बिना रिकॉर्डिंग के कॉल कर सकते थे।" फोगाट ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री शायद इस वजह से बात नहीं करना चाहते थे क्योंकि उन्हें डर था कि वह पिछले दो सालों के बारे में सवाल पूछेंगी।
हालांकि, कुछ दिनों पहले ही विनेश फोगाट ने यह दावा किया था कि पेरिस ओलंपिक में अयोग्यता के बाद किसी भी बीजेपी नेता ने उन्हें फोन नहीं किया था। उन्होंने कहा था, "एक भी बीजेपी नेता ने मुझे फोन नहीं किया। अगर उन्हें मेरा नंबर नहीं पता था, तो भी वे मेरे समर्थन में कुछ कर सकते थे।" इस तरह, पहले उन्होंने कहा कि बीजेपी नेताओं ने उनसे संपर्क नहीं किया और फिर उन्होंने खुद कहा कि प्रधानमंत्री ने उनसे बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने बात करने से मना कर दिया। यह बयानों का स्पष्ट विरोधाभास है, और यह दर्शाता है कि शायद ये आरोप राजनीतिक लाभ के लिए लगाए जा रहे हैं।
इसके साथ ही, विनेश फोगाट ने एक अन्य इंटरव्यू में सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें पर्याप्त समर्थन नहीं मिला। हालांकि, उसी इंटरव्यू में उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि सरकार ने उनके प्रशिक्षण और अन्य खर्चों पर 75 लाख रुपये खर्च किए। इसके बावजूद, उन्होंने कहा कि जो कुछ भी सरकार ने किया, वह उनका कर्तव्य था और इसमें कुछ विशेष नहीं था। फोगाट ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने उन्हें कोच मुहैया नहीं कराया और उनके सभी कोच और फिजियोथेरेपिस्ट निजी प्रायोजकों द्वारा आए थे।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि विनेश फोगाट ने भारतीय ओलंपिक संघ की प्रमुख पीटी उषा पर भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पीटी उषा और अन्य अधिकारी सिर्फ फोटो खिंचवाने आए थे और उन्होंने किसी तरह की मदद नहीं दी। फोगाट ने कहा कि अस्पताल में उनके साथ जो तस्वीरें ली गईं, उस वक्त वह अर्ध-चेतन अवस्था में थीं। हालांकि, तस्वीरों में वह पूरी तरह से होश में दिखाई दे रही थीं।
विनेश फोगाट के इन बयानों पर केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने भी प्रतिक्रिया दी। मंडाविया ने लोकसभा में जानकारी दी थी कि सरकार ने विनेश फोगाट को पेरिस ओलंपिक के लिए सभी आवश्यक सहायता प्रदान की थी। उन्होंने बताया कि विनेश फोगाट को उनके पसंद के कोच, फिजियो और अन्य स्टाफ मुहैया कराए गए थे। इसके अलावा, उन्हें हंगरी के प्रसिद्ध कोच वोलर अकोस और फिजियो अश्विनी पाटिल की सेवाएं दी गई थीं। इसके अलावा, फोगाट के स्पैरिंग पार्टनर और स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग विशेषज्ञों के लिए भी वित्तीय सहायता प्रदान की गई थी। सरकार ने उनके प्रशिक्षण के लिए कुल 70 लाख से अधिक की राशि प्रदान की थी। फिर भी, विनेश फोगाट और कांग्रेस पार्टी ने इन तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए उनकी अयोग्यता को चुनावी मुद्दा बना लिया है। फोगाट ने यह आरोप भी लगाया कि उनके वजन के कारण अयोग्यता के बावजूद सरकार ने उन्हें कोई समर्थन नहीं दिया।
Vinesh Phogat is a perfect fit for Congress, as she seems to have the same IQ level as Rahul Gandhi. ☠️ pic.twitter.com/2m0DIsZvVI
— BALA (@erbmjha) October 2, 2024
वास्तव में, विनेश फोगाट ने पहले 53 किलोग्राम वर्ग में कुश्ती लड़ी थी, लेकिन चोटों और बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध के कारण वह लंबे समय तक मैट से दूर रहीं। इस बीच, अंतिम पंघाल ने 53 किलोग्राम वर्ग में भारत का ओलंपिक कोटा हासिल कर लिया था। इसके बाद, फोगाट ने 50 किलोग्राम वर्ग में जाने का फैसला किया ताकि वह ओलंपिक में अपनी जगह बना सकें। नियमों के विपरीत होने के बावजूद, उन्हें 50 किलोग्राम और 53 किलोग्राम दोनों श्रेणियों में क्वालीफाइंग मैच खेलने की अनुमति दी गई। हालांकि, वह 53 किलोग्राम में अपनी जगह पक्की करने में विफल रहीं और तकनीकी आधार पर अयोग्य ठहरा दी गईं। 50 KG वर्ग में उन्होंने जीत दर्ज की, लेकिन वजन को कंट्रोल में नहीं रख पाईं, जिसके कारण उन्हें पेरिस ओलिंपिक से बाहर होना पड़ा।
इसके बावजूद, फोगाट और कांग्रेस पार्टी ने इस घटना को मुद्दा बना लिया है और इसे चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं। यहां तक कि विनेश फोगाट ने प्रियंका गांधी वाड्रा की तारीफ की और कहा कि उन्होंने ही उन्हें कुश्ती जारी रखने के लिए प्रेरित किया। यह भी दिलचस्प है कि फोगाट ने कांग्रेस में शामिल होने के बाद अपनी सारी उपलब्धियों का श्रेय कांग्रेस और प्रियंका गांधी को दे दिया, जबकि अपने सारे दुखों के लिए बीजेपी को दोषी ठहराया।
विनेश फोगाट के इस पूरे प्रकरण से यह साफ हो जाता है कि उन्होंने चुनावी लाभ के लिए सरकार पर आरोप लगाए हैं। उन्होंने अपने बयानों में लगातार विरोधाभास दिखाया है, और यह संकेत देता है कि शायद यह सिर्फ एक राजनीतिक एजेंडा का हिस्सा है।
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