नई दिल्ली: सीबीआई ने दावा किया है कि विजय माल्या के यूनाइटेड ब्रेवरीज होल्डिंग्स लिमिटेड (यूबीएचएल) ने कंपनी के मूर्त नेट वर्थ और मार्केट कैपिटलाइजेशन से कहीं ज्यादा कॉर्पोरेट गारंटी प्रदान की है. साथ ही सीबीआई जांच कर रही है कि बैंकों ने उन्हें वास्तविक मूल्य निर्धारित किए बिना स्वीकार क्यों किया है.
चंदा कोचर मामला: सेबी के साथ समझौते को तैयार हुई आईसीसीआई
मुंबई में विशेष अदालत में जमा सीबीआई दस्तावेज के मुताबिक, यूबीएचएल ने अपनी सहायक कंपनियों और सहयोगी कंपनियों की ओर से 2 9 नवंबर, 2008 को 6,036 करोड़ रुपये की कॉरपोरेट गारंटी प्रदान की थी, लेकिन 31 मार्च, 2008 को कंपनी के समायोजित मूर्त नेट वर्थ , 505.71 करोड़ रुपये और 9 अप्रैल, 2009 को बाजार पूंजीकरण 770.75 करोड़ रुपये था. किंगफिशर एयरलाइंस के बकाया ऋण चुकाने के लिए धन उधार लेने के लिए इस कॉर्पोरेट गारंटी को निष्पादित किया गया था.
'अब मुस्लिम न दाढ़ी रखेंगे और न नमाज पढ़ेंगे'
सीबीआई के अधिकारीयों का कहना है कि वे जांच कर रहे हैं कि क्यों बैंकों ने यूबीएचएल के वास्तविक मूल्य को नजरअंदाज कर दिया और गारंटी दी और एक झूठे आंकड़े को स्वीकार कर लिया. इन लोगों में से एक ने कहा है कि, इससे बैंक अधिकारियों के हिस्से में "चूक" के बारे में गंभीर सवाल उठते हैं और उनके लिए परेशानी हो सकती है. हालांकि सीबीआई के दस्तावेज़ में उन बैंकों का नाम उजागर नहीं किया गया है, जिन्होंने कॉर्पोरेट ग्यारंटी स्वीकार की है.
ख़बरें और भी:-
7 साल की मासूम बनी हैवानियत का शिकार, दरिंदे ने प्राइवेट पार्ट में डाला पाइप
असम NRC : आज सुप्रीम कोर्ट तय करेगी 40 लाख लोगों का भविष्य
करतारपुर साहिब विवाद : सिद्धू बोले-अब क्या कुंभकर्ण की नींद सोने वाले मुझे देशभक्ति सिखाएंगे