विजय जैन के नेतृत्व में कांग्रेस का अजमेर बंद सफल
विजय जैन के नेतृत्व में कांग्रेस का अजमेर बंद सफल
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अजमेर: बिजली के निजीकरण के विरोध में 18 फरवरी को कांग्रेस का अजमेर बंद पूरी तरह सफल रहा है। सब्जी मंडी से लेकर पेट्रोल पम्प, सिनेमा हॉल आदि पूरी तरह बंद रहे। शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन ने जो रणनीति बनाई वह पूरी तरह सफल रही। इसे जैन की राजनीतिक सफलता ही कहा जाएगा कि 18 फरवरी को कांग्रेस के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में सड़कों पर आए और बंदर को सफल बनाया।

कांग्रेस के बंद को विफल करने के लिए भाजपा की ओर से यह घोषणा की गई थी कि 18 फरवरी को जो व्यापारी अपनी दुकान खोलना चाहेगा उसे संरक्षण दिया जाएगा। यानि भाजपा के कार्यकर्ता दुकानें खुलवाऐंगे। लेकिन कांग्रेस के दम के आगे भाजपा के कार्यकर्ता दुकानें खुलवाने में विफल रहे।  

दरगाह क्षेत्र देहली गेट इलाके में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने जब एक दो दुकानें खुलवाने का प्रयास किया, तो कांग्रेस के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने एकत्रित होकर भाजपाइयों को मौक से रवाना होने के लिए मजबूर कर दिया। कांग्रेस के कार्यकर्ता सुबह 6 बजे से ही हाथों में मोटे-मोटे डंडे लेकर सड़कों पर आ गए थे। यही वजह रही चाय की थड़ी और ठेले भी नहीं खुल सके। अजमेर बंद के सफल होने से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में एक नया जोश आएगा। 

जबरन कराया बंद

भाजपा के शहर जिला अध्यक्ष अरविंद यादव और देहात अध्यक्ष बी.पी.सारस्वत ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने डंडे के बल पर जबरन अजमेर बंद करवाया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के यह कृत्य पूरी तरह जनविरोधी है। उन्होंने कहा कि बिजली के निजीकरण से आम उपभोक्ता को फायदा होगा, लेकिन कांग्रेस अपने निहित स्वार्थो की खातिर भ्रम फैला रही है। बंद की सफलता पर भाजपा भले ही कांग्रेस पर आरोप लगा रही हो, लेकिन सवाल उठता है कि जब कांग्रेस के कार्यकर्ता डंडे के बल पर बंद करवा रहे थे, तो फिर भाजपा सरकार की पुलिस ने कार्यवाही क्यों नहीं की। 

20 को होने हैं टेंडर

अजमेर शहर की बिजली व्यवस्था निजी कंपनी को देने के लिए 20 फरवरी को ई-टेंडर होने हैं। इसके लिए अजमेर स्थित विद्युत निगम के मुख्यालय में पूरी तैयारी कर ली गई है। हालांकि निजीकरण का विरोध बिजली श्रमिक भी कर रहे हैं। लेकिन वहीं निगम के एमडी का तर्क हैं कि निजीकरण के बाद बिजली सप्लाई में सुधार होगा और बिजली की चोरी भी रुकेगी। जिसका फायदा आम उपभोक्ता को मिलेगा। विद्युत निगम की सम्पत्तियों पर मालिकाना हक तो निगम का ही रहेगा। कंपनी का काम तो बिजली सप्लाई और बिल की वसूली रहेगा। 

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