नई दिल्लीः देश की अदालतें मुकदमों की बोझ से दबी हुई हैं। इस कारण अदालतें समय पर किसी मुकदमें पर सुनवाई नहीं कर पाती। समय-समय पर इस व्यवस्था पर सवाल उठते रहे हैं। उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने न्याय प्रक्रिया में इस देरी के प्रति चिंता जताई है। इस मुद्दे पर उन्होंने एक सुझाव देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट को बांट देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कम खर्च में न्याय के लिए देश में सुप्रीम कोर्ट की चार क्षेत्रीय खंडपीठ स्थापित की जानी चाहिए।
एक पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में संवैधानिक मामले और अपील अलग-अलग देखी जाएं। साथ ही सर्वोच्च अदालत में मामलों के जल्द निपटारे के लिए क्षेत्र के आधार पर चार बेंच बनाई जाएं। उप राष्ट्रपति ने कहा कि इस कदम को उठाने के लिए संविधान में संशोधन की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने इस सुधारवादी कदम के लिए संविधान के अनुच्छेद 130 का पालन किए जाने की सलाह दी। वेंकैया नायडु ने कहा कि इस अनुच्छेद के अनुसार राष्ट्रपति की मंजूरी से समय-समय पर होने वाली नियुक्तियों के जरिए सुप्रीम कोर्ट दिल्ली या किसी अन्य स्थान या स्थानों पर भी बैठ सकता है।
इस कार्यक्रम में उनके अलावा सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस आरएफ नरिमन, अटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और जस्टिस एआर दवे समेत कई पूर्व जज मौजूद थे। संविधान पीठ और अपीलों की सुनवाई के आधार पर सुप्रीम कोर्ट को बांटने की विधि आयोग की सिफारिश का समर्थन करते हुए उन्होंने सर्वोच्च अदालत को चार रीजनल बेंच के आधार पर बांटे जाने की भी पैरवी की। गौरतलब है कि सुप्रीम को कोर्ट अतीत में ऐसे किसी सुझाव को खारिज कर चुका है।
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