वेदों ने दी है गौ मांस भक्षण और गोकशी की अनुमति : RSS
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नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वंसेवक संघ द्वारा अपनी ही बात पर आश्चर्य व्यक्त किया गया है, जिसमें आरएसएस अब गो मांस खाने की बात पर नए तरह से जानकारी प्रेषित कर रहा है। हाल ही में आरएसएस के मुखपत्र 'आर्गनाइजर' में छपे एक लेख में कहा गया कि ब्रिटिश मूल के इतिहासकारों ने ऐतिहासिक तथ्यों से छेडछाड़ की है। जिसमें इस बात पर बल दिया है वैदिक काल में गोमांस खाने को लेकर विवाद की जड़ ब्रिटिश राज की गंदी राजनीति है। इस लेख में यह भी कहा गया है कि ब्रितानियों और लेखकों को इतिहास फिर से लिखने के लिए रखा गया। जिसके बदले उन्हें बड़े पैमाने पर राशि दी गई।

दरअसल आरएसएस के मुखपत्र आॅर्गनाईजर में प्रकाशित लेख में यह बताया गया है कि वैदिक काल में भी गोमांस भक्षण और गोकशी पर मनाही नहीं थी। हालांकि आरएसएस का यह लेख उसके द्वारा पूर्व में प्रकाशित किए गए लेखों का विभेद कर रहा है। मगर बीफ मसले पर आरएसएस द्वारा कहा गया है कि विवाद की जड़ ब्रिटिश राज की गंदी राजनीति है। जिसमें कहा गया है कि भारत के इतिहास को ब्रिटिश राज द्वारा प्रभावित किया गया।

आरएसएस द्वारा मुहर्रम पर दुर्गा की मूर्ति विसर्जन पर ममता बनर्जी सरकार के प्रतिबंध का हवाला दिया गया। लेख में लिखा कि क्या यह किसी धार्मिक समुदाय की आपत्ति पर किया गया? आरएसएस द्वारा गोमांस भक्षण और गोकशी विवादों को लेकर असहिष्णुता बढ़ने की बातों पर भी पलटवार किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म का आधार महज सहिष्णुता नहीं बल्कि विभिन्न धर्मों को स्वीकार करना है।

आरएसएस ने अपने मुखपत्र के माध्यम से कहा कि बीफ मसले पर और अन्य मसलों पर जबरन धर्मनिरपेक्षता का माहौल तैयार किया जा रहा है। पश्चिम बंगाल में तो ममता बनर्जी नीत राज्य सरकार ने मुहर्रम के चलते राज्य में 23 और 24 अक्टूबर को दुर्गा मूर्ति विसर्जन पर प्रतिबंध लगा दिया था। 

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