वट सावित्री के दिन बरगद के वृक्ष पर सुहागिनें क्यों लपेटती है सात बार सूत? जानिए इतिहास
वट सावित्री के दिन बरगद के वृक्ष पर सुहागिनें क्यों लपेटती है सात बार सूत? जानिए इतिहास
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ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वट अमावस्या तथा वट सावित्री व्रत के तौर पर जाना जाता है। ये दिन सुहागिन स्त्रियों के लिए बेहद विशेष है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु, अखंड सौभाग्य तथा संतान प्राप्ति की कामना के लिए उपवास रखकर बरगद के वृक्ष की पूजा करती हैं। प्रथा है कि ऐसा करने से पति की दीर्घायु होने के साथ उसे सभी संकटों से छुटकारा प्राप्त होता है। इस बार वट सावित्री व्रत 10 जून को पड़ रहा है।

कहा जाता है कि इसी दिन वट वृक्ष के नीचे बैठकर सावित्री ने अपने पति सत्यवान की जान बचाई थे। तब से प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या को वट सावित्री व्रत के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन महिलाएं बरगद के वृक्ष पूजा के दौरान वृक्ष की 7, 11, 21, 51, 101 आदि सामर्थ्य के मुताबिक परिक्रमा करती हैं तथा सात बार कच्चा सूत लपेटती हैं।

शुभ मुहूर्त:-
व्रत तिथि : 10 जून 2021 दिन गुरुवार
अमावस्या प्रारंभ : 9 जून 2021 को दोपहर 01ः57 बजे
अमावस्या समाप्त : 10 जून 2021 को शाम 04ः20 बजे
व्रत पारण : 11 जून 2021 दिन शुक्रवार

इसलिए महिलाएं लगाती हैं वृक्ष की परिक्रमा:-
सात बार सूत लपेटने का आशय पति से सात जन्मों तक के रिश्ते की कामना से होता है। वहीं परिक्रमा लगाने की पीछे की वजह है कि बरगद के वृक्ष में ईश्वर का वास माना जाता है, इसके अतिरिक्त बरगद के वृक्ष के नीचे ही सावित्री को उसके पति के प्राण वापस मिले थे। इसलिए ये पेड़ पूज्यनीय माना जाता है। श्रद्धानुसार 7, 11, 21, 51, 101 परिक्रमा लगाकर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अखंड सौभाग्य, सुख समृद्धि तथा संतान प्राप्ति की कामना करती हैं।

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