बसंत पंचमी से शूरवीर सम्राट पृथ्वीराज चौहान का है बहुत खास नाता, कर देगी आपको हैरान
बसंत पंचमी से शूरवीर सम्राट पृथ्वीराज चौहान का है बहुत खास नाता, कर देगी आपको हैरान
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बसंत के मौसम में मन को शीतल करती हल्की-हल्की हवा, गर्म रजाई सी धूप, पेड़ों पर नजर आती नई-नई कोपलें एवं फूलों पर चहलकदमी करती तितलियां, ये नजारा देखकर लगता है कि मानो बसंत में प्रकृति मेहरबान होकर सबकुछ लुटा रही है। बसंत के सीजन में शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन को लोग देवी सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में जानते हैं तथा इस दिन उनकी आरधना करते हैं। किन्तु आज हम आपको बताएंगे बसंत पंचमी से संबंधित ऐसी घटना जो एक राजपूत सम्राट की बहादुरी की ऐसी दास्तां को बयां करती है, जिसके बारे में सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

दरअसल, बसंत पंचमी का दिन पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है। पृथ्वीराज चौहान, भारत के इतिहास का एक महान नाम है। पृथ्वीराज चौहान दिल्ली की गद्दी के अंतिम हिन्दू सम्राट थे। ये क्षत्रिय महारथी जितना परमवीर था उतना ही दयालु एवं क्षमाशील था। उन्होंने विदेशी हमलावर मोहम्मद गौरी को 16 बार युद्ध में हराया तथा उदारता बताते हुए हर बार जीवित छोड़ दिया। किन्तु जब सत्रहवीं बार वे हार हुई तो मोहम्मद गौरी ने उन्हें नहीं छोड़ा। वो उन्हें अपने साथ अफगानिस्तान ले गया तथा उनकी आंखें फोड़ दीं। कुछ वक़्त पश्चात् पृथ्वीराज चौहान के बाल सखा एवं कवि चंद बरदाई उनसे मिलने अफगानिस्तान गए। वहां पहुंचकर बरदाई ने मोहम्मद गौरी को पृथ्वीराज के शब्दभेदी वाण चलाने की कला के बारे में कहा। किन्तु गौरी को उनकी बात पर भरोसा नहीं हुआ तथा उसने उनके शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहा।

चंद बरदाई ने अपनी रणनीति के अनुसार, पृथ्वीराज को तीर-कमान देकर अपनी आंखों से ये कला देखने की बात बोली। मूर्ख मोहम्मद गौरी ने ऐसा ही किया। जब पृथ्वीराज चौहान के हाथ में तीर कमान आया तो चंद बरदाई ने पृथ्वीराज चौहान के सामने चार पंक्तियां बोली।

चार बांस चौबीस गज,
अंगुल अष्ट प्रमाण,
ता ऊपर सुल्तान है,
मत चूको चौहान।

पृथ्वीराज चौहान ने सुनते ही तीर चलाया तथा वो तीर सीधा मोहम्मद गौरी के सीने में जा धंसा। तत्पश्चात, चंद बरदाई एवं पृथ्वीराज ने भी एक दूसरे के पेट में छुरा घोंपकर आत्मबलिदान दे दिया। 1192 ई। में ये घटना जिस दिन हुई थी उस दिन बसंत पंचमी का दिन था।

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