आज है वरलक्ष्मी व्रत, जरूर करें इन चमत्कारी मंत्रों का जाप
आज है वरलक्ष्मी व्रत, जरूर करें इन चमत्कारी मंत्रों का जाप
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प्रत्येक वर्ष श्रावण मास के अंतिम शुक्रवार को मां वरलक्ष्मी की आराधना होती है। माता के श्रद्धालु इस दिन अपनी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए माता के लिए व्रत भी रखते हैं। क्षीरसागर से उत्पन्न मां वरलक्ष्मी, महालक्ष्मी का ही स्वरूप हैं। इनकी आराधना करने से अष्टलक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है। माता वरलक्ष्मी को धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी माना जाता है। परम्परा है कि अगर माता वरलक्ष्मी की पूर्ण श्रद्धा भक्ति से आराधना की जाए तो मां अपने श्रद्धालुओं से खुश होती हैं तथा उन्हें मनोकामना पूर्ति का वरदान देती हैं।

इस तरह करें पूजन:-
आज शाम को एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मां लक्ष्मी तथा प्रभु श्री गणेश की मूर्ति रखें। गणपति के समक्ष घी का एवं माता को सरसों के तेल का दीया अर्पित करें। जैसा आप दीपावली के दिन करते हैं। तत्पश्चात, कुमकुम, हल्दी, चंदन पाउडर, चंदन, इत्र, फूल माला, धूप, वस्त्र, प्रसाद आदि चढ़ाएं। यदि कमल का फूल प्राप्त हो सके तो बहुत शुभ है, नहीं तो माता को गुलाब की माला अर्पित करें। इसके पश्चात् 5, 7 या 11 बार पहले ‘ॐ श्री गणेशाय नम:’ बोलें। इसके पश्चात् नारायण और मां लक्ष्मी का ध्यान करें। फिर स्फटिक या कमल गट्टे की माला से महालक्ष्मी मंत्र की 1 माला से लेकर श्रद्धानुसार 5, 7, 11 आदि माला जपें। तत्पश्चात माता की आरती गाएं तथा आखिर में सभी को प्रसाद बांट दें।

ये हैं मां वरलक्ष्मी के मंत्र:-

1. या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी:
पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धि:
श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा
तां त्वां नता: स्म परिपालय देवि विश्वम्.

2- विष्णुप्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं जगद्वते
आर्त हंत्रि नमस्तुभ्यं, समृद्धं कुरु मे सदा
नमो नमस्ते महांमाय, श्री पीठे सुर पूजिते
शंख चक्र गदा हस्ते, महां लक्ष्मी नमोस्तुते

3- ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्

4- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:

ये है महालक्ष्मी की आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता।

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता।

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता।

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता।

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता।

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता।

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता।

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता।

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