उत्तराखंड में पैदल चलना भी किसी खतरे से कम नहीं, यहाँ अक्सर हो जाते है अजीबोगरीब हादसे
उत्तराखंड में पैदल चलना भी किसी खतरे से कम नहीं, यहाँ अक्सर हो जाते है अजीबोगरीब हादसे
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देहरादून: दिन व दिन बढ़ते जा रहे सड़क हादसों ने आज के समय में हर किसी को हिला कर रख दिया है वहीं हर वक़्त बस एक ही दर रहता है कि कही कोई फिर बड़ा हादसा न हो जाए लेकिन कहते है कि  जो आप सोचते है अधिकांश ऐसा हो भी जाता है हाल ही में ऐसा ही कुछ उत्तराखंड में भी सुनने को मिला है कि उत्तराखंड की सड़कें पैदल चलने वालों के लिए भी बेहद खतरनाक हैं. दो साल में प्रदेश के नेशनल हाईवे व स्टेट हाईवे पर 273 पैदल यात्री अपनी जान गंवा चुके हैं. हिमालयी राज्यों में हिमाचल के बाद उत्तराखंड में पैदल यात्रियों की मौत का ये आंकड़ा सबसे बड़ा है. हिमाचल में दो सालों के दौरान 353 पैदल यात्री सड़क पर चलते समय हादसे का शिकार हुए. 

सूत्रों से मिली जानकरी के अनुसार पैदल यात्रियों की सड़कों पर मौत का ये आंकड़ा इसलिए भी ज्यादा प्रमाणिक है कि क्योंकि सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय ने लोकसभा में दिया है. चिंता वाली बात यह है कि देश और प्रदेश की सड़कें पैदल चलने वालों के लिए घातक बनती जा रही हैं. राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2015 में 13894 पैदल यात्री मारे गए थे.

आपकी जानकरी के लिए हम आपको बता दें कि वर्ष 2018 में मौत का यह आंकड़ा बढ़कर 22656 पहुंच गया है.  उत्तराखंड में वर्ष 2015 में सड़कों पर 106 पैदल यात्री मारे गए थे. वर्ष 2018 में ये संख्या बढ़कर 146 पहुंच गई है. यानी प्रदेश में भी आंकड़ा निरंतर बढ़ रहा है. प्रदेश में पिछले 19 वर्षों में सड़कों की लंबाई तो बढ़ी, लेकिन उस गति से सड़कों के चौड़ीकरण का कार्य नहीं हो पाया.  

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