हाईकोर्ट ने किया सवाल  केदारनाथ आपदा में लापता शवों की खोज कैसे हो
हाईकोर्ट ने किया सवाल केदारनाथ आपदा में लापता शवों की खोज कैसे हो
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नैनीताल हाईकोर्ट ने वर्ष 2013 में आई केदारनाथ आपदा के मामले में सुनवाई के बाद वाडिया इंस्टीट्यूट देहरादून से पूछा है कि आपदा में लापता लोगों के शवों को खोजने के लिए कौन कौन से वैज्ञानिक तरीके इस्तेमाल किए जा सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें की कोर्ट ने मामले में एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मामले की सुनवाई हुई। वहीं मामले के अनुसार दिल्ली निवासी अजय गौतम ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि केदारनाथ में 2013 में आई आपदा के बाद केदार घाटी में से करीब 4200 लोग लापता थे। वहीं इनमें से 600 के कंकाल बरामद हो गए थे। वहीं याचिका में कहा कि आपदा के बाद आज भी 3600 लोग केदारघाटी में दफन हैं, जिन्हें सरकार निकालने को लेकर कोई कार्य नहीं कर रही है।

वहीं याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले और केदारघाटी से शवों को निकलवा कर उनका अंतिम संस्कार करवाए। वहीं पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने वाडिया इंस्टीट्यूट देहरादून को एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।हाईकोर्ट ने भाजपा के राज्यसभा सदस्य व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से चारधाम देवस्थानम बोर्ड के गठन के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए एक सप्ताह बाद की तिथि नियत की है। आपकी जानकारी के लिए बता दें की मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मामले की सुनवाई हुई। राज्य सभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने  हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश सरकार द्वारा चारधाम के मंदिरों के प्रबंधन को लेकर लाया गया देवस्थानम बोर्ड अधिनियम असांविधानिक है। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें की देवस्थानम बोर्ड के माध्यम से सरकार द्वारा चारधाम व 51 अन्य मंदिरों का प्रबंधन लेना संविधान के अनुच्छेद 25 व 26 का उल्लंघन है। इसके साथ ही याचिका में कहा कि सरकार के इस फैसले के बाद प्रभावित धार्मिक स्थानों व मंदिरों के पुजारियों में भारी रोष है। वहीं सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि पूर्व में कुछ राज्य तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, केरल व महाराष्ट ने भी इस तरह के निर्णय लिए थे।वहीं जिनके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं और उनको जीत मिली थी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णय पहले से ही हैं। याचिका में यह भी प्रार्थना की है कि जब तक इसमें कोर्ट से कोई निर्णय नहीं आ जाता सरकार कोई अग्रिम कार्यवाही न करे। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस प्रकरण पर अगली सुनवाई के लिए एक सप्ताह बाद की तिथि नियत की है।


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