आखिर कब करवट लेगी हिमालय की यह आग ?
आखिर कब करवट लेगी हिमालय की यह आग ?
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इन दिनों हर कोई उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग पर काबू पाने के समाचार देख रहा है। जंगल अभी भी धधक रहे हैं। वहां धूधूकर आग की लपटें उठ रही है। वह उत्तराखंड जो कि हिमालय की पर्वत श्रृंखला पर बसा है। जो ग्लैशियर से निकलने वाली नदियों, खूबसूरत वादियों, उंचे लंबे और घने पेड़ों के साथ अपनी जलवायु के लिए जाना जाता है। वहां की पारिस्थितिकी पर भी अब खतरा मंडराने लगा है।

पहले उत्तराखंड का श्री केदारनाथ हादसा और फिर अब जंगल की भीषण आग। इन घटनाओं ने हिमालय क्षेत्र की परिस्थितिकी पर विपरित प्रभाव डाला है। हालात ये हैं कि आग की लपटों से ठंडे प्रदेश में भी तापमान बढ़ गया है। इतने घने जंगल में आग लगी है जिसे हेलिकाॅप्टर से बुझाने में तक परेशानी हो रही है।

आखिर किसी ने सोचा है इन सभी के पीछे मानवीय क्रिया - कलाप तो नहीं हैं। जी हां, जिस तरह से मानव पहाड़ों तक आवागमन को सुलभ बनाने में लगा है। यहां पर हेलिकाॅप्टर उतारे जाने लगे हैं उससे हिमालयी क्षेत्र में भूस्खलन के खतरे बढ़े हैं। यही नहीं संभवतः यह आग भी मानवीय हलचल के चलते लगी हो।  

हालांकि इसे लेकर कारण सामने नहीं आ सके है लेकिन इसके दूरगामी परिणाम अभी से संकेत देने लगे हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि वन में लगी आग से जो कार्बनिक यौगिक उत्सर्जित हुए हैं वे ओजोन परत को प्रभावित कर सकते हैं। इससे इस क्षेत्र का तापमान भी बढ़ सकता है और ग्लेशियर तक पिघल सकते हैं। यदि ग्लेशियर पिघलते हैं तो यहां पर कई तरह की आपदा आ सकती है। 

आगजनी के बाद यहां का तापमान 0.9 सेल्सियस  बढ़ गया है। यदि मानव इसी तरह से अपना ध्यान प्रकृति के संरक्षण से हटाता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हिमालयी क्षेत्र की महत्वपूर्ण नदियां और यहां के ग्लेशियर प्रभावित होंगे। 

'लव गडकरी'

 

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