इलाहाबाद : इलाहाबाद हाइकोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों के विरोध मे आए फैसले के खिलाफ उतर प्रदेश सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। इस विशेष अनुमति याचिका को दायर करने बेसिक शिक्षा विभाग की प्रमुख डिम्पल वर्मा दिल्ली पहुँची। एसएलपी दायर करने के बाद डिंपल ने बताया कि सरकार ने अपना पूरा जोर लगाया है और एसएलपी दायर की है। इसकी तैयारी सरकार 12 सितंबर को आए फैसले के बाद से ही कर रही थी। इस याचिका से पहले सुप्रीम कोर्ट के कई प्रख्यात वकीलों व जजमेंट विभाग से भी सलाह मसविरा की गई थी। इस मामले को लेकर उतर प्रदेश सरकार के कई मंत्री कई दिनों तक दिल्ली में भी जमे रहे।
बता दें कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम में दी गई व्यवस्था के आधार पर नियमावली संशोधित करते हुए शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट देते हुए सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित किया गया। इसके बावजूद एनसीटीई ने इसे गलत बताते हुए हाईकोर्ट में रिपोर्ट दिया। इसके चलते शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के पद पर किया गया समायोजन रद्द कर दिया गया।
इस मामले में राज्य सरकार अदालत में यह दलील दे सकती है कि उत्तराखंड व महाराष्ट्र में शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण देकर बिना टीईटी सहायक अध्यापक बनाया गया है। एनसीटीई को जब वहां कोई आपत्ति नहीं है, तो यूपी के मामले में क्यों है। जब कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से अनुमति लेने के बाद शिक्षामित्रों को दो वर्ष का बीटीसी प्रशिक्षण दिया गया था। उल्लेखनीय है कि 12 सितंबर को इलाहाबाद हाइ कोर्ट ने सभी शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द किया था।
इसमें से 130 लाख शिक्षा मित्रों का समायोजन रद्द हो चुका है और अन्य के लिए प्रक्रिया जारी है। पहले उतर प्रदेश सरकार इसे केंद्र के सहयोग से हल करना चाहती थी। एनसीटीई ने शिक्षामित्रों को पात्रता परीक्षा से अलग रखा था पर अब इसी आधार पर हाइकोर्ट ने समायोजन रद्द कर दिया है।