लखनऊ: प्रयागराज के करछना के अंतर्गत आने वाले डीहा गांव में एक परिवार मृत बेटी के जिंदा होने की आस में शव को घर में रखकर उसकी पूजा कर रहा था। हालत यह हुई की शव से बदबू आने लगी तो मंगलवार की शाम पड़ोसियों को इसकी भनक लगी। पड़ोसियों द्वारा सूचना दिए जाने के बाद मौके पर पुलिस पहुंची तो पता चला कि तंत्र-मंत्र और अंधविश्वास के चक्कर में इस परिवार के सदस्यों ने खाना छोड़ दिया है। केवल गंगाजल पीकर रह रहे हैं। पड़ोसियों के अनुसार, बेटी की मौत पांच दिन पहले हो गई थी। हालांकि मौत कैसे हुई, इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल सकी है।
यह मामला इस गांव के अभयराज यादव के परिवार का है। बताया जा रहा है कि परिवार के सदस्यों की हरकतों और अंधविश्वास के कारण ही अभयराज की सबसे छोटी बेटी अंतिमा (18) की जान गई है। पड़ोसियों ने बताया कि इस परिवार की हरकतें एक माह से अजीब लग रही थीं क्योंकि करीब एक महीने से यह परिवार अंधेरे में रह रहा था। मंगलवार को करछना पुलिस वहां पहुंची तो पता चला कि परिवार में सभी सदस्यों की तबियत बिगड़ चुकी है। भोजन छोड़ने की वजह से बीमार हो गए थे। पुलिस ने जांच कराने के लिए कहा तो परिजनों ने विरोध जताते हुए कहा कि उनकी बेटी जिंदा हो जाएगी।
करछना के डीहा गांव के रहने वाले अभयराज यादव के परिवार में उसकी पत्नी विमला, बड़ी बेटी मीरा (35), रेखा (33), रीनू (28), बीनू (26) तीन बेटे आर्यन (25), मान सिंह(23), ज्ञान सिंह (21) और बेटी अंतिमा (19) थी। बिटिया बीनू का विवाह हो चुका है। बताया जा रहा है कि कुछ दिन पहले ही वह सुसराल से वापस आई है। उसके ससुराल से आने के बाद ही परिवार के सदस्यों की मानसिक स्थिति बिगड़ गई और सभी अंधविश्वास में फंस गए। वह अपने मां-बाप, भाई और बहनों को खाना नहीं देती थी और उन्हें प्रताड़ित करती थी। अंतिमा की मौत के बाद अभयराज ने शव की पूजा करने से रोका, तो उसको घर में ही बंधक बना दिया गया था।
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