लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले स्थित बड़े सरकार दरगाह पर रूहानी उपचार के नाम पर मानसिक रोगियों को जंजीरों से बांधकर रखे जाने पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद प्रशासन ने दरगाह में जंजीरों से बंधे लगभग 22 मनोरोगियों को छुड़वाकर उनके परिजनों के हवाले कर दिया है.
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वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार ने शनिवार (05 जनवरी) को जानकारी देते हुए बताया कि शीर्ष अदालत ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि रूहानी उपचार के नाम पर लोगों को जंजीर में बांध कर रखना नृशंस और अमानवीय है. शुक्रवार रात इस मामले को लेकर प्रशासन तथा पुलिस की टीमों ने छोटे बड़े सरकार की दरगाह पहुंचकर वहां के पीरजादा से मुलाकात करते हुए जंजीरों में बांध कर रखे गए 22 से ज्यादा दिमागी बीमार लोगों को मुक्त कराया और उन्हें उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है.
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उप जिलाधिकारी सदर पारस नाथ मौर्य ने कहा है कि छोटे बड़े सरकार की दरगाह पर लोग मानसिक रोगों के उपचार के लिए आते हैं. लोगों की मान्यता है कि यहां पर लोगों को बुरी आत्माओं से निजात मिलती है. मरीज को यहाँ लेकर आने वाले लोग दरगाह के समीप बने आश्रय स्थल में मौजूद एक महिला और एक पुरुष की निगरानी में रोगी को छोड़कर लौट जाते हैं. यहां रूहानी इलाज के नाम पर रोगियों को जंजीरों में जकड़कर रखा जाता है ताकि रोगी भाग ना सके या किसी पर वार न कर दे.
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