बंदरों को ही अपनी संतान मानती है ये बूढी माँ, 8 सालों से लगातार कर रही ये 'भला' काम
बंदरों को ही अपनी संतान मानती है ये बूढी माँ, 8 सालों से लगातार कर रही ये 'भला' काम
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में इन दिनों भीषण गर्मी में हर कोई परेशान है. सूरज की तपिश में नदी तालाब सब सूखते जा रहे हैं. हर कोई पानी के लिए परेशान है. पशु पक्षी भी जंगलों में पानी ना मिलने से शहर की तरफ आ रहे हैं. बुंदेलखंड को पानीदार बनाने के लिए तमाम कोशिशें की गई हैं, मगर स्थिति जस की तस है. अब उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के जंगलों में पानी ना मिलने के कारण जंगली जीव संकट में आ गए हैं. 

इसी को देखते हुए एक बुजुर्ग महिला ने बहुत अच्छी पहल शुरू की है. कटरा की निवासी 60 साल की बुजुर्ग रानी उर्फ कुशमा का जुनून देखते ही बनता है. रानी कई सालों से बागै नदी के निकट बने देवी स्थान के पास झोपड़ी बनाकर रह रही हैं और भीषण गर्मी में जीव जंतुओं की जी जान से सेवा करती हैं. रानी ऐसा इसलिए कर रहीं हैं, ताकि उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के जंगलों में बंदरों का जीवन पानी की कमी की वजह से संकट में ना आ जाए. मजेदार बात ये है कि हैंडपंप से पानी पिलाने के दौरान रानी इन बंदरों को नाम लेकर पुकारती हैं- पप्पू, मुन्नू, कालू आदि और ये बंदर भी आवाज सुनते ही ऐसे आ जाते हैं, मानो उनकी मां उन्हें ही बुला रही हो. आवाज सुनते ही ये बंदर हैंडपंप पर पहुँच जाते हैं और पानी पीकर वापस जंगलों में लौट जाते हैं. 

आसमान से बरसती आग के बीच उनकी प्यास बुझाने के लिए बुजुर्ग माँ हैंडपंप चलाती हैं, घने जंगलों में सूखते जल स्रोतों के बीच बंदर इसी हैंडपंप के जल से अपनी प्यास बुझाते हैं. लगभग 8 वर्षों से रानी का यहां झोपड़ी बनाकर बंदरों को पानी पिलाने का सिलसिला बदस्तूर चला आ रहा है, जो रानी के अनुसार, उनके जीवित रहने तक चलता रहेगा.

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