रंगों के इस त्यौहार लगाएं नेचुरल गुलाल
रंगों के इस त्यौहार लगाएं नेचुरल गुलाल
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रंगों का त्यौहार होली आते ही सभी खुशियों से चहक उठते हैं। होली त्यौहार ही ऐसा होता है, जिसमें सभी पर गुलाल और रंगों की खुमारी छा जाती है। पिचकारी से भर-भर रंगों की बौछार की जाती है। तो सभी खुशियों के साथ अपने परिजन के साथ मिल जाते हैं। रंगों की मस्ती में सभी प्रेम के रंग से सराबोर हो जाते हैं। सभी पर आत्मीयता का रंग चढ़ने लगता है, मगर यह पारंपरिक उत्सव अब अपना महत्व खोता जा रहा है, इस पर्व को जिस परंपरा से मनाया जाता रहा है वह अब लुप्त सी हो रही है, अब तो कई तरह के केमिकल रंग बाजार में उपलब्ध हैं जिनसे सभी एक दूसरे को रंगने लगते हैं।

अब विश्व जल दिवस के एक दिन पहले धुलेंडी का पर्व है तो फिर कुछ जल की बात भी हो जाए, रंगों को पानी में घोलकर पानी की बर्बादी भी कर दी जाती है, फिर केमिकल रंगों में पानी घुल जाता है और पानी की बर्बादी होती है, पानी में हानिकारक रसायन घुल जाते हैं। इस तरह से जल का प्रदूषण भी होता है। होली के अवसर पर टेसू के फूल और नैसर्गिक तत्वों से बने रंग अब कम ही नज़र आते हैं।

ऐसे में त्वचा पर रंगों का विपरीत असर भी होता है। फिर होली के त्यौहार में सबसे ज़्यादा आनंद बच्चों को होता है, बच्चों के अलावा बड़े तो अब औपचारिक होली का ही आनंद लेते हैं। रंगों से अपने जीवन का रूखापन मिटाने का प्रयास होता है मगर क्या सही में सभी के दिल मिल पाते हैं, हालांकि त्यौहार अपना मन-मुटाव दूर करने का एक अच्छा अवसर होता है और कई स्थानों पर लोग एक दूसरे के बीच बढ़ गई दूरियों को कम कर देते हैं।

होली के अवसर पर परंपरागत स्वरूप में होलीका दहन का आयोजन होता है। इसमें भगवान के प्रति अपनी भक्ति का स्मरण किया जाता है, इस माध्यम से भक्त प्रहलाद को याद किया जाता है, इस माध्यम से कंडे जलाकर वातावरण को शुद्ध भी बनाया जाता है। दरअसल मौसम में सर्द असर कम हो जाता है और फिर मच्छर आदि भी होने लगते हैं।

ऐसे में गाय के गोबर से बने कंडे और अन्य सामग्रियां जलाने से वातावरण पवित्र और शुद्ध हो जाता है, यही नहीं इस माध्यम से गेहूं की ओंबियां भी सेकी जाती है एक तरह से प्रकृति को धन्यवाद देने का यह अवसर होता है। बसंत से होली तक जो बयार चलती है वह मानव के मन में नैसर्गिक तौर पर आकर्षण और प्रेम बिखेरती है ऐसे में होलिका का त्यौहार मानव को एक दूसरे के पास लेकर आता है। 

 

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