पाकिस्तान को दी जा रही मदद राशि में कटौती को लेकर आया बिल अमेरिकी संसद में खारिज
पाकिस्तान को दी जा रही मदद राशि में कटौती को लेकर आया बिल अमेरिकी संसद में खारिज
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वॉशिंगटन। अमेरिकी संसद ने पाकिस्तान को मदद में दी जाने वाली राशि में कटौती करने से संबंधित दो संसोधन बिल का नामंजूर कर दिया है। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के अधिकतर सांसदों का कहना है कि आतंकवाद के खिलाफ जारी जंग के लिहाज से मदद राशि में कटौती करना सही नहीं है।

हाल ही में अमेरिकी संसद द्वारा नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन बिल पास किया गया था। इसके तहत पाक को यूएस की ओर से 5400 करोड़ रुपए यानि 80 करोड़ डॉलर की मदद राशि दी जानी है। इसके विरोध में ही संसोधन बिल लाए गए थे।

पहला संसोधन प्रस्ताव टेड पो ने लाया, जिसमें कहा गया था कि 80 करोड़ डॉलर की राशि को घटाकर 70 करोड़ डॉलर कर दिया जाए। लेकिन पो का प्रस्ताव 230 वोटस से गिर गया। दूसरा संसोधन बिल डाना रोह्राबेकर ने पेश किया। ये प्रपोजल भी 84 के मुकाबले 236 वोट से गिर गया।

पो का तर्क था कि पाकिस्तान वॉर की गलत साइड में है। पाकिस्तान ने ओसामा को अपने यहां छिपाया। हमें वहां जाकर, उसे ढूंढकर मारना पड़ा। इतना ही नहीं, सीआईए के सेक्शन चीफ को भी वहां जहर दिया गया। खुद चीफ और साआईए इस बात को मानती है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने उन्हें जहर दिया था।'

पाकिस्तान सबके साथ खेल रहा है। वो हमसे पैसे लेता है और आईएसआई के जरिए ये पैसे तालिबान को भेजता है। ताकि अमेरिकियों की हत्या की जा सके। अमेरिका द्वारा जारी किया गया यह फंड पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने के नाम पर दिया गया है।

इसमें से 30 करोड़ डॉलर की रकम हक्कानी नेटवर्क को खत्म करने के नाम पर दी गई है। इस संबंध में पाकिस्तान के अखबार डॉन ने लिखा है कि अमेरिकी संसद द्वारा भारत को विशेष दर्जा न देने के एक दिन बाद ही पाकिस्तान को यह मदद राशि दी गई है।

इससे पहले तक अमेरिका पाकिस्तान और अफगानिस्तान को कोलेशन सपोर्ट फंड के तहत आतंकवाद से लड़ने के लिए फंड देता रहा है, अब इसकी जगह नया मैकेनिज्म लाया गया है। 2013 से लेकर अबतक अमेरिका ने पाकिस्तान को 3.1 अरब डॉलर की मदद दे चुका है।

इस फंड की अवधि इस साल अक्टूबर में खत्म हो रही है। नए बिल में अफगानिस्तान को भी अलग कर दिया गया है। इससे पहले अमेरिकी सीनेट ने भारत को विशेष दर्जा देने संबंधी प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया है। यह प्रस्ताव पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा अमेरिकी संसद को संबोधित करने के अगले दिन रखा गया था। यदि यह पारित हो जाता तो भारत को अमेरिका का ग्लोबल स्ट्रैटजिक और डिफेंस पार्टनर मान लिया जाता।

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