बंदरो की सेल्फीज पर कोर्ट का अनोखा फैसला
बंदरो की सेल्फीज पर कोर्ट का अनोखा फैसला
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नई दिल्ली: अमेरिका कोर्ट ने बंदरो की सेल्फीज के मामले में एक अनोखा फैसला सुनाया है. जिसमे उन्होंने कोर्ट में दायर बंदरो की सेल्फीज को लेकर याचिका में कहा है कि उन तस्वीरों पर बंदरों का कॉपीराइट नहीं है. यह तस्वीरें मैकेक बंदरों की दांत दिखाकर मुस्कराते हुए खींची गई थी, जो पिछले साल वायरल हो गई थीं.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक्टिविस्ट ग्रुप 'पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल' इस मामले को इंडोनेशियाई 'साइमन नैरुटो' की तरफ से सैन फ्रैंसिस्को लेकर आए थे। जिन्होंने पिछले साल एक फोटोग्राफर के नाम से बंदरों के हाथों कैमरे से खींची गई उनकी ही तस्वीरों को प्रकाशित करने के बाद प्रसिद्धि पाई थी.

इस मामले में दायर याचिका कि सुनवाई करते हुए कहा है कि अमेरिकी कॉपीराइट कानून एक जानवर को कॉपीराइट का अधिकार देने से नहीं रोकता। क्योंकि जब नैरुटो ने फोटो खींची है, तो इसका कॉपीराइट उसी के पास है, जैसे किसी इंसान का होता है.

इन तस्वीरों को 2011 में इंडोनेशियाई आइसलैंड सुलावेसी में ब्रिटिश नेचर फोटोग्राफर डेविड स्लेटर ने लिया था. जिसमे से दो तस्वीरें नैरुटो की थी.  सैन फ्रैंसिस्को की एक कंपनी ने यह किताब 'ब्लर्ब' नाम से प्रकाशित की थीं. पेटा ने कोर्ट में मैकेक बंदर को अपनी तस्वीर का मालिक और लेखक घोषित करने के लिए याचिका दायर की थी.

डेविड ने कोर्ट में कहा था कि कॉपीराइट के विवाद के कारण उनकी किताब कि बिक्री प्रभावित हुई है. इंटरनेट पर तस्वीरों के आ जाने से उन्हें काफी नुकसान हुआ है. जिसके तहत यह फैसला दिया गया.

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