RBI को मिला 24वां गवर्नर, जानिए उर्जित पटेल की कुछ ख़ास बाते !
RBI को मिला 24वां गवर्नर, जानिए उर्जित पटेल की कुछ ख़ास बाते !
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नई दिल्ली : भारतीय रिज़र्व बैंक के नए गवर्नर के तौर पर अब अर्जित पटेल का नाम जाना जाएगा। दरअसल उन्होंनेे रिजर्व बैंक के 24 वें गवर्नर के रूप में 4 सितंबर को नियुक्ति प्राप्त की है। उन्होंने रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के स्थान पर पदभार ग्रहण किया। आदेश के अनुसार वे 4 सितम्बर 2019 तक गवर्नर के पद पर बने रहेंगे। गौरतलब है कि पटेल जनवरी 2013 से अब तक डिप्टी गवर्नर थे. पटेल मौद्रिक नीति व्यवस्था को नई शक्ल देने के बारे में सुझाव देने के लिए बनी समिति के मुखिया थे.

इसी समिति की सिफारिशों के आधार पर दो बड़े बदलाव हुए हैं. जिसमें मौद्रिक नीति की दशा-दिशा को मौद्रिक नीति की समिति द्वारा तय किए जाने की बात कही गई. दूसरी ओर इस बारे में फैसला गवर्नर खुद लेते थे. यही नहीं उन्होंने यह भी तय किया था कि नीति में बदलाव का आधार थोक महंगाई दर की जगह खुदरा महंगाई दर होगी. साथ ही संसद से पारित कानून के जरिए पांच सालों के लिए महंगाई दर का लक्ष्य तय कर दिया गया है.

वैसे तो लक्ष्य चार फीसदी का है, लेकिन ज्यादा से ज्यादा ये छह फीसदी और कम से कम दो फीसदी पर जा सकता है. पटेल की चुनौतियां येल विश्वविद्यालय से पीएजडी, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एम फिल और लंदन विश्वविद्यालय से बी एस सी करने वाले पटेल के सामने सबसे बड़ी चुनौती तो महंगाई दर पर लगाम लगाने की है. हालांकि, रिजर्व बैंक ने अगले साल मार्च तक महंगाई दर को पांच फीसदी पर लाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन जुलाई के महीने में खुदरा महंगाई दर 6 फीसदी के पार चली गई. ज्यादा बड़ी समस्या तो खाद्य महंगाई दर को लेकर है जो सवा आठ फीसदी से भी ज्यादा हो चली है.

अब इसी के साथ उद्योग पर भी नजर डाले. मैन्युफैक्चरिंग की विकास दर जून के महीने में एक फीसदी से भी कम रही. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि अगर ब्याज दर में कमी तो मैन्युफैक्चरिंग का कुछ भला हो, लेकिन खुदरा महंगाई दर की मौजूदा स्थिति फिलहाल दर में कटौती की इजाजत नहीं दे रहा. मत भूलिए कि मैन्युफैक्चरिंग का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में हिस्सेदारी 16-17 फीसदी हो, लेकिन रोजगार देने के मामले में हिस्सेदारी सेवा क्षेत्र (सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में हिस्सेदारी 57 फीसदी) से कहीं ज्यादा है.

साथ ही मैन्युफैक्चरिंग की बेहतरी, देश में निवेश के माहौल को भी बेहतर बनाएगी. अब यहां पटेल को देखना होगा कि भले ही ब्याज दर कम ना हो, लेकिन बाजार में पर्याप्त नकदी उपलब्ध हो, ताकि कंपनियों को कारोबार फैलाने में आसानी हो।

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