लखनऊ : यूपी का चुनावी परिदृश्य अब काफी बदल चुका है. सपा पर अब लगभग अखिलेश यादव का कब्जा हो गया है. उधर यूपी में सत्तासीन होने को लालायित कांग्रेस यूपी में शीला दीक्षित को सीएम प्रोजेक्ट करने के अपने फैसले से पीछे हटते हुए सपा से हाथ मिला रही है. यूपी में हो रहे इस अनोखे गठबंधन में जहाँ आरएलडी का पेंच फँसा हुआ है , वहीं सपा और कांग्रेस में सीटों को लेकर असमंजस बरकरार है.
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस समाजवादी पार्टी से कम से कम 100 सीट चाहती है लेकिन अखिलेश यादव पिछले चुनाव के नतीजों को देख रहे हैं. 2012 के चुनाव में कांग्रेस को 28 सीट मिली थी, जबकि 31 जगहों पर पार्टी दो नंबर पर रही थी. इस लिहाज से समाजवादी पार्टी 59 सीटों पर उसकी दावेदारी को उचित मान रही है. लेकिन कांग्रेस को पिछले चुनाव में नंबर वन और नंबर टू वाला फॉर्मूला मंजूर नहीं हैं.इसके अलावा कांग्रेस चाहती है कि समाजवादी पार्टी रायबरेली और अमेठी की विधानसभा सीट उसे दे.लेकिनपिछले चुनाव में इन दोनों जिलों की दस में से सिर्फ दो सीट पर कांग्रेस जीत पाई थी, बाकी आठ सीट पर समाजवादी पार्टी जीती थी. ऐसे में कांग्रेस की ये मांग मानने में अखिलेश हिचकिचा रहे हैं.
उधर,आरएलडी का मामला भी उलझा हुआ है.पहले चर्चा थी कि गठबंधन में अखिलेश और कांग्रेस के साथ अजीत सिंह की पार्टी आरएलडी भी शामिल होगी, लेकिन कल समाजवादी पार्टी ने मना कर दिया है. ऐसा मुजफ्फरनगर दंगे को लेकर किया जा रहा है.दंगे के समय से जाट समुदाय और मुस्लिम समुदाय के बीच तनातनी की खबर से अखिलेश यादव जाटों की पार्टी माने जानेवाली आरएलडी से हाथ मिलाकर मस्लिम वोट को नाराज करने का खतरा नहीं उठाना चाहते हैं. वैसे खबर यह भी है कि राहुल गांधी, अजीत सिंह के बेटे जयंत चौधरी से बातचीत कर रहे हैं.