SAI के अधिकारियो के रवैये से गायब हुई भारतीय हॉकी की नायाब धरोहर
SAI के अधिकारियो के रवैये से गायब हुई भारतीय हॉकी की नायाब धरोहर
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भारतीय खेल प्राधिकरण के आला अधिकारियों के उदासीन रवैये के कारण भारतीय हॉकी के स्वर्णिम इतिहास की नायाब धरोहर गुम हो चुकी है. भारतीय खेल प्राधिकरण को महान ओलंपियन 91 साल के बलबीर सिंह सीनियर द्वारा दान में दी गई यादगार धरोहरों के बारे में कोई जानकारी नहीं है. ओलंपिक में तीन स्वर्ण पदक जीतने वाले बलबीर सिंह सीनियर ने 1985 में अपने पदक और धरोहरें तत्कालीन साई सचिव को दी थीं और तब उनसे कहा गया था कि इनकी नुमाइश राष्ट्रीय खेल संग्रहालय में की जाएगी.

इनमें ओलंपिक ब्लेजर, पदक और दुर्लभ तस्वीरें भी शामिल थीं, लेकिन यह संग्रहालय कभी नहीं बना. बलबीर सिंह ने ओलंपिक पदकों और पद्मश्री को छोड़कर अपना सारा सामान दान कर दिया था, जिसमें मेलबर्न ओलंपिक का कप्तान का ब्लेजर, टोक्यो एशियाड (1958) में जीते रजत समेत 36 पदक और सौ दुर्लभ तस्वीरें भी शामिल थीं. बलबीर सिंह के नाती कबीर भोमिया ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के ओलंपिक संग्रहालय के लिए मेलबर्न खेलों का ब्लेजर चाहिए था, जो लंदन ओलंपिक में नुमाइश में रखा जाना था.

वह एकमात्र भारतीय और अकेले हॉकी खिलाड़ी थे जिन्हें आधुनिक ओलंपिक के 116 साल के इतिहास के 16 महानतम खिलाड़ियों में चुना गया था. लंदन ओलंपिक 2012 से पहले जब इसके बारे में पूछा गया तो साइ अधिकारियों को इसकी कोई जानकारी नहीं थी. एक साल पहले खेलमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और साइ अधिकारियों ने चंडीगढ़ में बलबीर सिंह से उनके घर पर ही मुलाकात की तब मामले की जाँच का वादा किया था. पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के वकीलों के एक समूह ने दिल्ली स्थित साई कार्यालय और पटियाला के राष्ट्रीय खेल संस्थान से आरटीआइ से जानकारी मागी तो बढ़े ही चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.

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