भोपाल: भले ही समाज में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए संघ हिंदुओं के छूटे हुए या संघ से दूर वर्ग को अपने प्रभाव में लाने और समाज में यह सन्देश देने की वो सबके साथ है की बाहरी कोशिश कर रहा हो लेकिन उसके जमीनी अधिकारी अपनी वैचारिक कुंठा से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं,
बात पत्रकारों के आमंत्रण की हो रही है कार्यक्रम में मप्र की राजधानी के पत्रकारों को आमंत्रित करने के लिए मध्यभारत के एक जिम्मेवार पदाधिकारी ने हमेशा की तरह चुनिंदा पत्रकारों को आमंत्रण पत्र एवं उनकी कार्ड पास द्वारा प्रवेश के निर्देश दिए।
लोकतांत्रिक व्यवस्था में विशवास का दावा करने वालों का यह लोकतान्त्रिक तरीका हमेशा की तरह सामने आया,भले समरसता की बात हो लेकिन वह सिर्फ कार्यक्रम एवं प्रचार तक सीमित लगता है,पत्रकारों का एक बड़ा वर्ग संघ के कार्यक्रमों से हमेशा अपने आप को उपेक्षित महसूस करता रहा है,
समरसता कार्यक्रम में उम्मीद थी की उपेक्षित पत्रकारों को आमंत्रित किया जाएगा लेकिन ढाक के तीन पात वही हुआ जो हमेशा से होता आया, इनके पूर्व के जनता के धन पर आयोजित खर्चीले कार्यक्रमो में भी पत्रकारों एवं आम जन के प्रति यही तालिबानी रवैया अपनाया गया था,
वैचारिक समर्थन का दावा कर फायदा उठाने में अग्रणी ही इन कार्यक्रमों में शामिल हो पाते हैं, यदि संघ का मूल विचार देखा जाय तो सब उनके विपरीत हो रहा है,पत्रकारों से हमेशा बचना और समाज के हित कार्य करने का दावा इन कृत्यों से संदेह के घेरे में आता है।
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