मोदी 2.0 सरकार अपने दूसरे बजट की तैयारियों में पूरी शिद्दत से जुटी है परन्तु बजट तैयार के लिहाज से दो अहम पद अब भी खाली हैं। वित्त वर्ष 2020-21 का बजट एक फरवरी को पेश होना है परन्तु अब भी पूर्णकालिक व्यय सचिव (एक्सपेंडिचर सेक्रेटरी) का पद खाली है। इसके अलावा संयुक्त सचिव (बजट) का पद भी पिछले तीन माह से खाली है। बजट तैयार करने की पूरी प्रक्रिया में इस पद पर बैठे अधिकारी की भूमिका काफी अहम होती है। आगामी वित्त वर्ष के बजट की हर तरफ प्रतीक्षा हो रही है क्योंकि ऐसी जतायी जा रही है कि सरकार देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए आगामी बजट में कुछ अहम घोषित कर सकती है।
संरचनात्मक सुधार से जुड़े उपायों का बेसब्री से इंतजार इसलिए किया जा रहा है क्योंकि देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार छह वर्ष के न्यूनतम स्तर पर 4.5 फीसद पर आ गई है। उल्लेखनीय है कि जी सी मुर्मु के जम्मू-कश्मीर के पहले उपराज्यपाल के रूप में नियुक्ति के बाद पूर्णकालिक व्यय सचिव का पद खाली है। मुर्मु ने 29 अक्टूबर को व्यय सचिव का पद छोड़ दिया था। उसके बाद अतनु चक्रवर्ती को इस पद की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई थी। गुजरात कैडर के 1985 बैच के आइएएस अधिकारी चक्रवर्ती वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव हैं।
वित्त मंत्रालय ने 14 अक्टूबर को आगामी वित्त वर्ष का बजट तैयार करने की प्रक्रिया औपचारिक शुरू कर दी थी। विभिन्न विभागों और मंत्रालयों के साथ बैठक का सिलसिला पिछले महीने ही समाप्त हुआ। व्यय सचिव के अन्य सचिवों एवं वित्तीय सलाहकारों से बातचीत पूरी करने के बाद ही 2020-21 के बजट अनुमान को प्रोविजनल तौर पर फाइनलाइज किया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का दूसरा बजट काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि देश अभी सुस्ती के दौर से गुजर रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी वृद्धि के अनुमान को 6.1 फीसद से घटाकर पांच फीसद कर दिया। देश की इकोनॉमी को सुस्ती के दौर से निकालने के लिए वित्त मंत्री कई कगम उठाये जाने की बात कही है। इसी कड़ी में उन्होंने आने वाले बजट में व्यक्तिगत आयकर में राहत देने की ओर इशारा भी किया है।
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