आखिरकार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने अपना दूसरा बजट पेश कर ही दिया। यह बजट लोकलुभावन था। इस बजट में सरकार ने जहां एक हाथ से वर्ग विशेष को दिया है तो दूसरे हाथ से सक्षम वर्ग से ले भी लिया है। इस बजट में जहां कारों और अन्य लक्ज़री आईटम्स को महंगा कर दिया गया तो वहीं मध्यम वर्ग के लिए महंगी होती दालों और इसे प्राप्त करने की चिंता पर जोर दिया गया है। हालांकि गरीबों के लिए मकानों की सर्वसुलभता पर भी ध्यान दिया गया है। सभी को मकान उलब्ध करवाए जाने के लिए सरकार ने जिस तरह से ऋण की उपलब्धता पर ध्यान दिलवाया है वहीं सरकार ने अपने बजट में लगभग हर वस्तु पर फोकस किया है और हर वर्ग को कवर करने की बात ध्यान में रखी है।
बढ़ती महंगाई को काबू में करने का प्रत्यक्ष प्रयास सरकार ने नहीं किया है लेकिन यह एक वित्तमंत्री का आर्थिक संतुलन वाला बजट माना जा रहा है। महिलाओं के लिए घरेलू गैस की बात कर उन्होंने चूल्हे की अनिवार्यता को समाप्त किया है तो वहीं बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य बीमा की बात कर सरकार ने उनका ध्यान रखा है। सस्ती दर पर सभी जिला चिकित्सालयों में डायलिसिस जैसी महत्वपूर्ण सेवा की शुरूआत की बात कर सरकार ने अपनी स्वास्थ्य जागरूकता को प्राथमिकता दी है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पर ध्यान देते हुए सरकार ने सिंचाई को सशक्त बनाने और खेती को उन्नत करने की बात कही है। सरकार का नज़रिया जैविक खेती को प्रोत्साहित करने का भी नज़र आया। डीज़ल कारों और वाहनों की खरीद पर सरचार्ज बढ़ाने और कारों जैसी लक्ज़री वस्तुओं पर कर बढ़ाने की बात कर सरकार ने उस वर्ग से अर्थ खींचने का प्रबंध किया है जो कि सक्षम है। इसके उलट कर्मचारियों को खुश करने के लिए सरकार ने 3 वर्ष तक कर्मचारियों को ईपीएफ प्रदान करने की बात कही है।
हालांकि सरकार ने आयकर की स्लैब में कोई राहत नहीं दी लेकिन आयकर की औपचारिकताओं को सरलीकृत करने की बात भी कही। कृषि कल्याण उपकर की शुरूआत भी सरकार ने की है। यही नहीं सरकार के प्रयासों ने डिजीटल इंडिया की तस्वीर पेश की है। जिसमें राष्ट्रीय डिजीटल साक्षरता मिशन की शुरूआत भी उन्होंने की है। जिसमें शिक्षा को डिजिटलाईज़्ड करने की बात भी कही गई है। सरकार के इस बजट में विकास के ही साथ महंगाई को प्रबंधित किए जाने की बात सामने आती है। सरकार ने एक तरह से आम बजट में आम आदमी के बजट की तस्वीर पेश की है।
'लव गडकरी'
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