धार्मिक स्थलों में एक महाकाल की नगरी उज्जैनी बहुत ही पावन और पवित्र स्थान है. इस स्थल में आने से भक्तों के कष्टों का निवारण यूँ ही हो जाता है, हमारे इस भारत देश में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में उज्जैन के महाकालेश्वर एक हैं। भगवान महाकाल का प्रत्येक दिन अलग अलग ढंग से सुन्दर सुन्दर रूपों में श्रृंगार किया जाता है. जो भक्तों का मन हरसाने वाला होता है.
भगवान महाकाल की आरती के दौरान यह पावन स्थान दमक उठता है .मंदिर के चारों और घंटें ,संख ,मृदंग और भी वाद्य यंत्रों की ध्वनी गूँज उठती है यहां का दृश्य बहुत ही सुहावना दिखाई देता है ऐसा लगता है. की देवलोक से सारे देवता भगवान शिव की आराधनं में जुट गए हैं .महाकाल की भस्मारती की इतनी अधिक महत्वता है .की इस आतरी में शामिल होने देश-विदेश से प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं।
आप जान सकते है क्या है भस्मआरती और कैसे होती है -
दरअसल भगवान महाकाल के दर्शन और भस्मारती का अपना विशिष्ट महत्व है। मान्यता है कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शनों से भक्त को अकाल मृत्यु और कष्टों से मुक्ति मिलती है। महाकाल के दर्शन मात्र से व्यक्ति आकाल मृत्यु से बच जाता है. और साथ ही साथ यदि भस्म आरती के समय दर्शन करे तो उसकी और भी अधिक महत्वता है. इससे भक्तों के जीवन में कष्टों से मुक्ति मिलती है. उसका जीवन सुखद और सम्पनता के साथ व्यतीत होता है .
धर्मग्रंथों में तो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विविध स्वरूप में महिमा का बखान किया गया है। इसे पृथ्वी पर सर्वाधिक महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग बताया गया है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बावाला के अनुसार अवंतिकानाथ का सनातन धर्म परंपरा में विशिष्ट महत्व है। नाथ संप्रदाय और हिंदू संप्रदाय में ब्रह्म मुहूूर्त में ही भस्मारती का महत्व है। इसी के आधार पर ब्रम्ह मुहूर्त में (प्रातः काल ) यह आरती की जाती है