नई दिल्ली: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर ने भारत सरकार के नेताओं को टार्गेट करने और देश के नियम-कानून का मज़ाक बनाने का मन बना लिया है। तभी वो कभी ‘वैक्सीन से मौत’ की अफवाह का सरकारी फैक्ट चेक हटा देता है, कभी देश के उप-राष्ट्रपति के ट्विटर अकाउंट का ब्लू टिक हटा देता है और कभी सरकार के खिलाफ अदालत में कुतर्क देता है। किन्तु, रवीश कुमार जैसे वामपंथी पत्रकारों के प्रति Twitter का दिल दरिया बन जाता है।
अब Twitter ने जवाब दिया है कि उसने क्यों देश के उप-राष्ट्रपति और राज्यसभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू के ट्विटर हैंडल को ‘Unverify’ कर उन्हें मिला ब्लू टिक हटा दिया। दरअसल, वेंकैया नायडू के ट्विटर अकाउंट पर 13 लाख फॉलोवर हैं, जबकि उनके उप-राष्ट्रपति वाले आधिकारिक अकाउंट पर 9.3 लाख फॉलोवर हैं। अब ट्विटर ने मनमानी करते हुए RSS चीफ मोहन भागवत के साथ ही 5 अन्य बड़े RSS नेताओं के अकाउंट को मिला ब्लू टिक भी छीन लिया। वहीं, रिटायर्ड IAS अधिकारी संजय दीक्षित को मिला ब्लू टिक भी हटा लिया गया है। अब ट्विटर का कहना है कि उप-राष्ट्रपति नायडू का हैंडल ‘Inactive’ (निष्क्रिय) था, इसीलिए इसे ‘Verified’ की केटेगरी से हटा दिया गया था। बता दें कि वेंकैया नायडू ने इस हैंडल से आखिरी बार जनवरी 2020 में ट्वीट किया था। ट्विटर के नियम के मुताबिक, 6 महीने तक यदि हैंडल निष्क्रिय रहा तो उसे ‘Unverified’ कर दिया जाता है।
6 महीने ट्वीट न करने पर देश के उप राष्ट्रपति के अकाउंट से नीला टिक हटा देने वाला ट्विटर रवीश कुमार के अकाउंट से सालों ट्वीट न होने पर भी नीला टिक नहीं हटाता है। इसलिए ये इनएक्टिव रहने का मसला नहीं बल्कि ये सबूत है ट्विटर के बायस्ड होने और मोदी सरकार को चुनौती देने का।
— Sushant Sinha (@SushantBSinha) June 5, 2021
किन्तु, रवीश कुमार जैसे पत्रकारों के वक़्त Twitter अपने नियम भी भूल जाता जाता है? रवीश कुमार के Twitter हैंडल को खँगालने पर आप पाएँगे कि उन्होंने अगस्त 22, 2015 में एक ट्वीट के बाद सीधा जनवरी 2020 में एक ट्वीट को एक रीट्वीट किया था, अर्थात साढ़े 4 साल का अंतर। फिर उन्होंने सीधा जनवरी 2021 में एक ट्वीट और एक रीट्वीट किया, यानी फिर 1 साल का गैप। इस साल भी उन्होंने पिछले 4 माह से कोई ट्वीट नहीं किया है, लेकिन उनका हैंडल कभी Unverified नहीं हुआ है और देश के उपराष्ट्रपति पर ट्विटर को नियम याद आ गया। ये साफ दर्शाता है कि, ट्विटर किसी विशेष अजेंडे के तहत काम कर रहा है, जो निश्चित रूप से भारत और भारत सरकार के पक्ष में तो नहीं दिख रहा।
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