मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का जवाब :  तीन तलाक मामले में  SC को दखल देने का हक़ नहीं
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का जवाब : तीन तलाक मामले में SC को दखल देने का हक़ नहीं
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नई दिल्ली : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने तीन तलाक के खिलाफ सभी याचिकाओं को खारिज करने की मांग करते हुए बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में अदालत के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी है. बोर्ड के वकीलों की दलील है कि धार्मिक मामलों में अदालत दखल नहीं दे सकती. मामले की अगली सुनवाई 30 मार्च को होगी.

बता दें कि AIMPLB की राय में मुस्लिमों की धार्मिक रिवायतों पर दायर याचिकाएं निजी पक्ष के खिलाफ मूलभूत अधिकारों को लागू करवाने की कोशिश है. बोर्ड का ये भी मानना है कि याचिका दायर करने वाले अनुच्छेद 32 के खिलाफ फैसला चाह रहे हैं. जबकि अनुच्छेद 14, 15 और 21 के अनुसार नागरिकों या निजी पक्षों के खिलाफ संवैधानिक अधिकारों का दावा नहीं किया जा सकता है.

उल्लेखनीय हैं कि बोर्ड की ओर से दाखिल जवाब में बताया गया कि  शरीयत कानून पति और पत्नी के बीच लंबे रिश्ते का समर्थन करता है. इस कानून में ऐसे कई प्रावधान हैं जो शादी को टूटने से बचाने के लिए बने हैं और शरीयत में तलाक को आखिरी रास्ता माना गया है.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की चाहत हैं कि तीन तलाक पर कानून में कोई भी बदलाव भारत की सांस्कृतिक विविधता और संबद्ध समुदायों की भावनाओं को ध्यान में रखकर होना चाहिए. दूसरे देशों में लागू बदलावों को भारतीय परिप्रेक्ष्य में सोच-विचार के बाद ही लागू किया जाना चाहिए.

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