ट्रांसजेंडर हेतु हो फाॅर्म में काॅलम
ट्रांसजेंडर हेतु हो फाॅर्म में काॅलम
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इलाहाबाद : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ट्रांसजेडर हेतु भारत सरकार की हवाई, रेल और रोडवेज के टिकट फाॅर्मों में उनका काॅलम नहीं होने के विरूद्ध दायर की गई याचिका पर सुनवाई की। गौरतलब है कि इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कई बार ताकीद की गई थी। उच्च न्यायालय द्वारा कहा गया कि किन्नर समुदाय के लिए फाॅर्म में अलग से काॅलम नहीं रखना संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 व 21 के मूल अधिकारों का हनन बताया गया है। इस मामले में दो न्यायाधीशों की बेंच ने केंद्र सरकार, सिविल एविएशन विभाग, रेल और रोडवेज विभागों से इस मसले में 6 सप्ताह में हलफनामा मांगा।

न्यायालय द्वारा यह कहा गया कि इस याचिका में जो मसला उठाया गया है वह जनहित से जुड़ा हुआ है। दरअसल उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें ट्रांसजेडर का हित सामने रखने वाले ने कहा था कि जब भी ई-टिकट आॅनलाईन या किसी अन्य माध्यम से बुक किसा जाता है तो उसमें स्त्री और पुरूष के काॅलम के अलावा दूसरा काॅलम नहीं होता है। ऐसे में ट्रांसजेंडर्स को मुश्किल होता है।

ऐसे में यह अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 के मूल अधिकारों का हनन हो जाता है। न्यायालय का कहना था कि प्रत्येक व्यक्ति को ही सम्मान के साथ जीने का अधिकार है। ऐसे में ट्रांसजेंडर को भी अधिकार है कि वे सम्मान के साथ जी सकें। उन्हें समानता मिले। साथ ही उड्डयन, रेलवे, परिवहन आदि समेत हर जगह उनके लिए स्त्री, पुरूष की ही तरह समानता हो। ऐसे में फार्म दाखिले को गंभीरता से लेते हुए न्यायालय ने उड्डयन, रेलवे और परिवहन को प्रतिवादी बनाया है।

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