सरकारी बैंकों के कामकाज पर पड़ रहा है ट्रेड यूनियनों के प्रदर्शन का असर
सरकारी बैंकों के कामकाज पर पड़ रहा है ट्रेड यूनियनों के प्रदर्शन का असर
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 शिमला: केंद्र सरकार की नीतियों के विरुद्ध मंगलवार को दूसरे दिन भी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और राष्ट्रीय फेडरेशनों के आह्वान पर सीटू, इंटक, एटक, केंद्रीय कर्मचारियों की संयुक्त समन्वय समिति, बीमा, बैंक, BSNL, डाक कर्मियों, एजी ऑफिस सहित विभिन्न कार्य क्षेत्रों में कार्यरत मजदूरों व केंद्रीय कर्मचारियों की हड़ताल अब भी चल रही है। हड़ताल से बैंकों सहित अन्य विभागों में कामकाज पर भी प्रभाव देखने के लिए मिला है। 

यूनियनों की ओर से जगह-जगह प्रदर्शन किया जा रहा है। शिमला में सीटू ने डीसी कार्यालय के बाहर से शेर ए पंजाब तक रैली निकाली और सरकार की नीतियों के विरुद्ध जमकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। मजदूरों के कानूनों को समाप्त कर चार लेबर कोड बनाए जाएं। सार्वजनिक इलाके के विनिवेश व निजीकरण पर रोक लगाई जानी चाहिए। ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल की जाए। आउटसोर्स नीति बनाई जा रही है। स्कीम वर्करों को नियमित सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए। मनरेगा मजदूरों को 200 दिन का रोजगार और 350 रुपये दिहाड़ी की जानी चाहिए। करुणामूलक रोजगार दिया जाए।  छठे वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर कर इसका लाभ कर्मचारियों को जल्द से जल्द प्रदान किया जाना चाहिए। मजदूरों का न्यूनतम वेतन 21 हजार रुपये घोषित किया जाए।

 पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस व खाद्य वस्तुओं की भारी महंगाई पर रोक लगाने के लिए कदम उठाए जाना जरुरी है। मोटर व्हीकल एक्ट में मालिक व मजदूर विरोधी संशोधनों को वापस ले लिया जाना चाहिए।

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