हिन्दू धर्म की सभी धार्मिक परम्पराओं के चलते यह मुंडन संस्कार जो की प्रत्येक व्यक्ति का मूल संस्कार होता है. इन सभी संस्कारों का कोई न कोई महत्त्व होनें की वजह से हमारे पूर्वजों के साथ साथ आज हम भी इन सब मान्यताओं को निभाते चले आ रहे है.
धार्मिक ग्रंथों व शास्त्रों के अनुसार बताया जा रहा है की इस मुंडन संस्कार में शिशु के सिर के बाल उतारे जाते हैं। इस संस्कार को बहुत ही पवित्र संस्कार माना गया है, इस मुंडन जैसे अन्य संस्कारों को निभाने व करने के लिए विशेष मुहूर्त का होना जरूरी होता है.
हम शास्त्र के माध्यम से जानकारी लेते है की इन सब के लिए कब और किस समय में मुहूर्त रहेगा, इस मुंडन संस्कार को विभिन्न मंत्रों व पूजा पाठ के साथ पूर्ण किया जाता है, इस संस्कार को चूड़ाकर्म संस्कार भी कहते है।
मुंडन संस्कार के लिए आयु का निर्धारण -
हिन्दू धर्म के अनुसार यह मुंडन संस्कार बालक के जन्म के प्रथम वर्ष या तीसरे वर्ष में कराया जाता है। इस संस्कार में बच्चे के सर के बाल उतारे जाते हैं. और इसी दौरान इन बालों को किसी देवता को भेंट करने का विधान होता है। लोग अपनी मनोकामना के लिए सर के बालों की भी भेंट देते है जो उसके सर का ताज होता है. यह मुंडन संस्कार किसी धार्मिक स्थल , मंदिर या पवित्र नदी के किनारे ही किया जाता है।
मुंडन संस्कार के महत्व को जानें -
1 . वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार मान्यता है कि बाल कटवाने से सिर की अनावश्यक गर्मी निकल जाती है।
2 .मान्यतानुसार बताया जा रहा है की नवजात बच्चे के सिर पर जो बाल होते हैं उसमें कई तरह के कीटाणु होते हैं। मुंडन कराने से ये कीटाणु खत्म हो जाते हैं।
3 हिन्दू धर्म के अनुसार कहा जाता है की मुंडन कराने से मनुष्य का बौद्धिक विकास बना रहता है।