किसान का वो बेटा जो 19 साल में बना आर्मी अफसर, अब भाला फेंककर कर रहा है देश का नाम रोशन
किसान का वो बेटा जो 19 साल में बना आर्मी अफसर, अब भाला फेंककर कर रहा है देश का नाम रोशन
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टोक्यो ओलंपिक 2020 में आज भारत को पहला स्वर्ण पदक प्राप्त हो सकता है। ऐसा लग रहा है कि भाला फेंक में नीरज चोपड़ा भारत के लिए ओलंपिक में स्वर्ण पदक का सूखा समाप्त कर सकते हैं। नीरज चोपड़ा का फाइनल में पहुंच जाना भारत के लिए इसलिए भी बड़ी जीत है, क्योंकि उन्होंने 2017 के वर्ल्ड चैम्पियन जोहानेस वेटर को भी पछाड़ दिया। जर्मनी के जोहानेस वेटर नीरज के पश्चात् दूसरे नंबर पर रहे। जोहानेस ने पहले ही बोला था कि ओलंपिक में नीरज को पराजित करना कठिन होगा। 

हरियाणा के पानीपत जिले के खांद्रा गांव में एक छोटे से कृषक के घर पर 24 दिसंबर 1997 को नीरज का जन्म हुआ था। नीरज ने अपना अध्ययन चंडीगढ़ से किया। नीरज ने 2016 में पोलैंड में हुए IAAF वर्ल्ड U-20 चैम्पियनशिप में 86।48 मीटर दूर भाला फेंककर सोना जीता था, जिसके पश्चात् उन्हें आर्मी में जूनियर कमिशन्ड ऑफिसर के रूप में नियुक्ति प्राप्त हुई थी। आर्मी से नौकरी प्राप्त होने के पश्चात् नीरज ने एक इंटरव्यू में बताया था, मेरे पिता एक किसान हैं तथा मां हाउसवाइफ हैं तथा मैं एक संयुक्त परिवार में रहता हूं। मेरे परिवार में किसी की सरकारी नौकरी नहीं है। इसलिए सब मेरे लिए खुश हैं। उन्होंने आगे कहा था, अब मैं अपना अभ्यास जारी रखने के साथ-साथ अपने परिवार की आर्थिक सहायता भी कर सकता हूं।

2018 में इंडोनेशिया के जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में नीरज ने 88.06 मीटर का थ्रो कर गोल्ड मैडल जीता था। नीरज पहले भारतीय हैं जिन्होंने एशियन गेम्स में सोना जीता है। एशियन गेम्स के इतिहास में जैवलिन थ्रो में अब तक भारत को केवल दो पदक ही मिले हैं। नीरज से पहले 1982 में गुरतेज सिंह ने कांस्य पदक जीता था। 2018 में एशियन गेम्स तथा कॉमनवेल्थ गेम्स में बेहतरीन प्रदर्शन करने के पश्चात् नीरज कंधे की चोट का शिकार हो गए। इस कारण वो बहुत समय तक खेल से दूर रहे। 2019 तो उनके लिए और भी खराब रहा और उसके पश्चात् कोरोना की वजह से कई कार्यक्रम रद्द हो गए। इसके पश्चात् वापसी करते हुए इसी वर्ष मार्च में हुई इंडियन ग्रांड प्रिक्स में नीरज ने 88.07 मीटर का थ्रो कर अपना ही राष्ट्रिय रिकॉर्ड तोड़ दिया था। नीरज का ये अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन था। 

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