पर्यावरण संरक्षण के लिए हो रहे प्रयास, अभी होना है और कोशिश
पर्यावरण संरक्षण के लिए हो रहे प्रयास, अभी होना है और कोशिश
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मई - जून के दरमियान आप लोग अधिक गर्मी का अनुभव कर रहे होंगे। मगर इस बार गर्मी कुछ अधिक ही अनुभव हो रही है। हालात ये रहे कि तापमान 50 - 50 डिग्री सेंटीग्रेट तक पहुंच गया और लोग परेशान होते रहे। गर्मी के मौसम में भी हिमालयी क्षेत्र में तेज बारिश और भूस्खलन होने से लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। क्या आपने सोचा है कि ऐसा क्यों हुआ। कई जगह पर जंगल जल गए और फिर गर्मी के चलते वातावरण में जल अधिक वाष्पिकृत हुआ जो कि संघनित होकर बारिश के तौर पर देश के कई क्षेत्रों में बरसा।

ऐसे में पर्यावरण में बदलाव साफतौर पर नज़र आ रहे हैं। 5 जून जिसे विश्व पर्यावरण दिवस कहा जाता है। उस दिन हर साल पर्यावरण संरक्षण की बात कही जाती है। पौधे रोपने, जल सहेजने की बात कही जाती है। इतना ही नहीं नदियों के हालात बदतर हो चले हैं। केंद्र सरकार द्वारा क्लीन गंगा और नमामि गंगा प्रोजेक्ट का संचालन किया जा रहा है मगर फिर भी गंगा प्रदूषण से मैली है। कुछ ऐसे ही हाल मध्यप्रदेश के उज्जैन में बहने वाली शिप्रा नदी के भी हैं। यहां पर सिंहस्थ 2016 का आयोजन हुआ था मगर अब इसके बाद आयोजन समाप्त होते ही शिप्रा नदी की हालत बेहद खराब हो गई।

आखिर कब चेतेगें हम। हमारी धरती का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है इसके बाद भी हम वे ही कार्य कर रहे हैं जिनसे ग्रीन हाउस प्रभाव बढ़ाने वाली गैसों का उत्सर्जन अधिक हो रहा है। हालात ये हैं कि कई क्षेत्रों में सूखे से हाल बेहाल हैं जमीन में कई फीट नीचे तक भू - जल नहीं है। स्थिति यह है कि लोगों को पीने योग्य जल पाने के लिए कई तरह के जतन करने होंगे।

हालांकि ऐसा नहीं है कि अब पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई प्रयास नहीं हुए हैं पर्यावरण संरक्षण के लिए जिस तरह के प्रयास किए गए हैं वे काफी सराहनीय है अब सौर उर्जा के प्रकल्प पर अच्छा कार्य होने लगा है। ईरिक्शा और सीएनजी ऑटो भी विभिन्न शहरों में संचालित होने लगे हैं। मगर फिर भी कई तरह के प्रयास करने की आवश्यकता है।

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