एंटी टेररिज्म डे : बर्फ से उठी आतंक की आग और भारत के प्रयास !
एंटी टेररिज्म डे : बर्फ से उठी आतंक की आग और भारत के प्रयास !
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आतंकवाद भारत की धरती पर यदि बात की जाए तो यह शब्द कुछ नया नहीं है. अब यदि जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के साथ घुसपैठ होती है तो लोग इतनी गंभीरता से इस बात को नहीं लेते हालांकि मुठभेड़ में शहीद सैनिक के प्रति लोगों में आदर का भाव होता है. दरअसल भारत में आतंकवाद इस कदर पैठ बना चुका है कि यहां के लोग इस परेशानी से दो चार होकर इसका सामना करने के लिए अभ्यस्त हो चुके हैं. इसकी बजाय यदि योरप में कोई संदिग्ध हेलिकॉप्टर अपनी गतिविधियों को अंजाम देता है तो लोगों में हड़कंप मच जाता है. आखिर आतंकवाद के प्रति योरप में खौफ है।

इस्लामिक आतंकवाद का स्वरूप बीते वर्षों में बदला है. अब कई आतंकी संगठन हैं जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मौत का खेल खेल रहे हैं. मौत के इन सौदागरों का प्रमुख कार्य है इस्लाम के नाम पर मजबूरों को बरगलाना. ये लोग एक मात्र खलीफा के शासन के नाम पर दुनिया को अपने कब्जे में कर लेना चाहते हैं. इनका मानना है कि विश्व में एक ही सत्ता होना चाहिए. जिसे खलीफा कहा जाएगा। मगर ये यह भूल रहे हैं कि हर किसी को धार्मिक और जीवन की स्वतंत्रता का अधिकार है. फिर विश्व विजय का सपना तो नेपालियन और सिकंदर जैसे शासकों ने भी देखा था मगर आज तो उनका नामो निशान भी नहीं है।

हालांकि यदि हम भारत के संदर्भ में बात करें तो भारत ऐसे आतंकवाद का दंश झेल रहा है जो कि इस्लामिक तो है लेकिन यह पाकिस्तान प्रेरित अधिक है. इस आतंकवाद को कश्मीर के माध्यम से धकेला गया. पाकिस्तान भारत से कश्मीर हथियाना चाहता था जिसके लिए उसने आतंकियों का सहारा लिया. बाद में आतंकियों के मंसूबे बढ़ते चले गए और अब ये कथिततौर पर इस्लाम का प्रसार करने वाली शक्तियों से मिल गए हैं. भारत में 26/11 को हुए मुंबई हमले के बाद आतंकवाद को लेकर सरकारें सजग हुईं हैं लेकिन इसके पहले भी कई हमले हुए वर्ष 2005-2006 में मुंबई में ही ट्रेन में सीरियल ब्लास्ट हुए ये भी आतंक से प्रेरित थे।

यही नहीं आतंकवाद का यह दंश मुंबई दिल्ली से निकलकर बैंगलुरू और अन्य क्षेत्रों में भी पहुंच गया। कश्मीर से चला आतंकवाद बर्फीले पर्वतों से हटकर भारत के मैदानी शहरों में आकर मौत का खेल खेलने लगा. हर बार सरकारें धमाके के बाद बयान दे देती और फिर आतंकी एक और धमाका कर जाते मगर जनता द्वारा आवाज़ उठाने के बाद आतंकवादी घटनाओं में बहुत कमी आई. हालांकि अब भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंक मचा रहे इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक के भावी खतरे महसूस कर रहा है लेकिन जिस तरह से नाटो सेनाओं और अमेरिका, रूस, फ्रांस की सेनाओं द्वारा आईएसआईएस के ईराकी ठिकानों को ध्वस्त किया गया है

उससे आईएसआईएस अपने पैर भारत की सरजमीं पर रखने में जल्दी नहीं करेगा. दूसरी ओर भारत ने आतंक के खिलाफ अपना सैन्य साजो सामान और अंतर्राष्ट्रीय माहौल तैयार किया है. जिसके कारण आतंकी सीधे तौर पर भारत को टारगेट नहीं कर पाऐंगे. बहरहाल भारत को बर्फ में लगी आतंकी आग को जड़ से उखाड़ना होगा. इसमें जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए धारा 370 के मसले पर सख्ती से अमल करना आवश्यक माना जाता है मगर मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियां इसके उलट हैं।

क्योंकि राज्य में पीडीपी-भाजपा गठबंधन की सरकार है. उल्लेखनीय है कि पीडीपी उस अलगाववादी भाग को काफी हद तक समर्थन करती है जो कि कश्मीर मसले समाधान के लिए पाकिस्तान का हिमायती रहा है. जिसे पाकिस्तान का पक्षकार भी कहा जाता है।

'लव गडकरी'

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