भारत और नेपाल के बीच तनाव का मामला बढ़ता ही जा रहा है. और इस बीच यह खबर भी सामने आ रही है कि अब चीन से नेपाल को सामग्री दी जा रही है. जी हाँ, भारत और नेपाल के बीच यह बॉर्डर बंद होने के बाद नेपाल में चीन के द्वारा ही पेट्रोल और एलपीजी पहुँचाया जा रहा है. लेकिन इस मामले में सूत्रों का यह कहना है कि जल्द ही नेपाल के लिए चीन से सामग्री का मंगवाना महंगा पड़ने वाला है.
क्योकि भारत की बजाय चीन से सामान मंगवाना नेपाल को 18 गुना तक महंगा पड़ता है. और इतने महंगे आयात के लम्बे समय तक जारी रहने के अनुमान कम ही लगाये जा रहे है. बताया जा रहा है कि फ़िलहाल नेपाल के साथ चीन का तिब्बत के पर्वतीय इलाके के सहारे संपर्क बना हुआ है. लेकिन साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि इस मार्ग से केवल यात्री बसों का आना-जाना होता है.
इस मार्ग पर भूस्खलन अधिकतर होने के कारण यहाँ से मालवाहक का निकलना नहीं हो पाता है. भूस्खलन के कारण इस मार्ग को कई दिनों के लिए बंद भी कर दिया जाता है. हाल ही में नेपाल और चीन के बीच एक हजार टन पेट्रोल को लेकर समझोता किया गया है और इसके तहत करीब 100 ट्रक नेपाल पहुँचने चाहिए थे लेकिन यहाँ एक महीने के दौरान यहाँ 10 से 12 ट्रक ही पहुँच पाये है.
जानकारी में ही यह बात भी सामने आई है कि चीन को माल की डिलीवरी करने के लिए पहले नेपाल के ट्रकों को तिब्बत सीमा के भीतर केरोंग पोस्ट पर जाना पड़ता है और उसके बाद वे यहाँ से काठमांडू जाते है जोकि 150 किमी दूर पड़ता है. रास्ता काफी मुश्किलों भरा होने के साथ ही काफी महंगा भी पड़ रहा है. जिस कारण यह बात कही जा रही है कि भारत के मुकाबले चीन से माल मंगवाना 18 गुना तक महंगा साबित हो सकता है.