त्योहारों का दौर भारत में बिना मिठाई के पूरा नही होता | भले ही बात छोटी से छोटी ख़ुशी का ही क्यूँ न हो बिना मुँह मीठा किये जाना अपशकुन माना जाता है | इस तरह पर्व, उत्सव, और मांगलिक कार्यों में खुशियों के साथ-साथ मिठाई का लेन-देन भी बढ़ जाता है। हर घर में मिठाई की मांग बढ़ जाती है।
हमारे खान पान से जुड़ी ऐसी आदतों को मिलावटखोरो ने धंधा बना लिया है | ऐसे में डिमांड के आधार पर आपूर्ति करने और चार गुना मुनाफा कमाने के लालच में मिलावट का कारोबार जोर पकड़ने लगा है| लेकिन आप सावधान हो जाइये क्योंकि त्योहारों के इस मौसम में नकली दूध, दही, पनीर, खोया, चॉकलेट, मिठाई और घी आदि का कारोबार भी तेजी से बढ़ जाता है। आम लोगो के लिये असली-नकली में अंतर करना वाकई बहुत मुश्किल काम होता हैं।
आइये आज हम आपको असली और नकली में पहचान करने के सरल उपाय बताते हैं-
दूध में मिलावट - थोड़े से दूध में बराबर मात्रा में पानी मिलाएं। अगर उसमें झाग आए तो समझ लें कि इसमें डिटर्जेंट की मिलावट है।
घी और पनीर में मिलावट - घी/पनीर में कुछ बूंदे टिंचर आयोडीन की मिला दें, अगर उनका रंग नीला हो जाए तो समझ लें की ये मिलावटी है।
मावे में मिलावट - मावे में आयोडीन की दो से तीन बूंदे डालें, अगर यह काला पड़ जाए तो समझ लें कि यह मिलावटी है।