नमस्कार के तीन प्रकार जो जीवन का करते है उद्धार
नमस्कार के तीन प्रकार जो जीवन का करते है उद्धार
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जब भी हम किसी से मिलते है, तो अपने दोनों हांथों को जोड़कर उसका अभिवादन करते है. भारतीय संस्कृति में इसे नमस्कार या नमस्ते कहते है. सभी का अभिवादन करने का तरीका भिन्न-भिन्न हो सकता है, लेकिन सभी का अर्थ एक ही होता है. सभी धर्मों में अभिवादन अलग-अलग प्रकार से किया जाता है. लेकिन मुख्य रूप से अभिवादन तीन प्रकार का होता है, जिसे सामान्य भाषा में नमस्कार कहते है. आइये जानते है, नमस्कार करने के कौन से तीन प्रकार है?

सामान्य नमस्कार – इस प्रकार का नमस्कार हम उस व्यक्ति से करते है, जिनसे हम प्रतिदिन मिलते रहते है. इस प्रकार का नमस्कार अपने दोनों हांथों को आपस में जोड़कर किया जाता है.

पद नमस्कार – इस प्रकार का नमस्कार व्यक्ति अपने से बड़ों के पैरों को छूकर करता है, जिसमे व्यक्ति द्वारा माता-पिता, गुरु व बुजुर्गों से किया जाता है.

साष्टांग नमस्कार – साष्टांग नमस्कार व्यक्ति अपने ईश्वर के समक्ष करता है, जिसमे व्यक्ति अपने दोनों हांथों को जोड़कर गुठने के बल बैठकर या अपने दोनों हांथों को जोड़कर मुंह के बल लेटकर किया जाता है. इसमें व्यक्ति के दोनों हाँथ जुड़े व आगे की तरफ फैले हुए होते है.

नमस्कार करने के फायदे – व्यक्ति को नमस्कार हमेशा पवित्र भावना व सच्चे मन के साथ करना चाहिए, ऐसा करने से व्यक्ति का मन शुद्ध होता है व उसके भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. आपके नमस्कार करने का तरीका सामने वाले व्यक्ति को प्रभावित करता है, जिससे उसके मन में आपके प्रति अच्छी भावना उत्पन्न होती है, जो भविष्य में आपको लाभ पहुंचा सकती है.

 

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