style="color: rgb(0, 0, 0); font-family: Arial, Tahoma, Verdana; font-size: 14px; line-height: 20px; text-align: justify;">नई दिल्ली: दिल्ली के दंगल का बिगुल बज चुका है। केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में फरवरी में विधान सभा चुनाव होने हैं। दिल्ली का किला फतह करने की सीधी जंग बीजेपी और आम आदमी पार्टी में है। वहीं एक सर्वे के अनुसार, आप संयोजक अरविंद केजरीवाल लोकप्रिय मुख्यमंत्री के रूप में उभरे हैं। हाल ही के धर्मांतरण और हिन्दुत्व के मुद्दे पर मचे बवाल से मोदी सरकार हाशिये पर आ गई है। ऐसे में केजरीवाल के विरुद्ध अपनी दावेदारी पेश करने के लिए बीजेपी ने ट्रंप कार्ड फेंका है और तीन मजबूत शख़्सियतों को अपने खेमे में शामिल किया है। ये तीनों देवियाँ केजरीवाल के विरुद्ध खड़ी हो सकती हैं।
दिल्ली में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए बीजेपी ने पूर्व आईपीएस ऑफिसर किरण बेदी, आप पार्टी छोडकर बीजेपी में आईं शाजिया इल्मी और बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा और लंबे समय तक समाजवादी पार्टी की कद्दावर नेता जयाप्रदा को बीजेपी में शामिल किया जा रहा है।
अभी तक बीजेपी मोदी लहर के भरोसे चुनाव लड़ रही थी और जीत भी रही थी। लेकिन हाल ही में मोदी लहर कमजोर हुई है। ऐसे में दिल्ली का चुनाव जीतना बीजेपी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। दिल्ली के दंगल को जीतने के लिए बीजेपी को एक मजबूत चेहरा चाहिए जो उसके पास कल तक नहीं था लेकिन बीजेपी ने तीन देवियों को शामिल कर पार्टी को मजबूत कर लिया है।
किरण बेदी बीजेपी की सबसे मजबूत कड़ी हो सकती हैं। वे दिल्ली के पूर्व आईपीएस ऑफिसर हैं और वहीं उनके पास 40 साल का प्रशासनिक अनुभव भी हैं। इसके साथ ही किरण बेदी सामाजिक सरोकार के कामों से भी जुड़ी रही हैं। उन्होने तिहाड़ जेल में कैदियों के सुधार के लिए कई कार्यक्रम चलाये , जो सफल भी हुए वहीं अन्ना आंदोलन में भी किरण बेदी की महत्वपूर्ण भूमिका थी। बेदी ने सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे के साथ मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई। कुल मिलकर किरण बेदी बीजेपी की एक मजबूत कड़ी बन गई हैं जो दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री पद की दावेदार हो सकती हैं।
वहीं आप पार्टी छोडकर बीजेपी में शामिल हुई पूर्व पत्रकार शाजिया इल्मी भी दिल्ली के दंगल में अहम हो सकती है क्योंकि उनके पास आप प्रमुख केजरीवाल के साथ मिलकर काम कर चुकी हैं इसलिए उन्हें आप की कमजोरियों के बारे में पता है, जो दिल्ली का चुनाव जीतने में अहम हो सकती है। वहीं शाजिया ने आम आदमी पार्टी का जल्द ही पर्दाफाश करने का दावा किया है।
बीजेपी के पास जो तीसरा और बड़ा चेहरा है वह फिल्म अभिनेत्री और राजनेत्री जयाप्रदा हैं। जिनके पास उत्तर प्रदेश सरकार में काम करने का लंबा अनुभव है। दूसरी तरफ वे एक बॉलीवुड अदाकारा भी है। शायद उनका चेहरा बीजेपी को दिल्ली में जिताने में अहम साबित हो।
इन सबके बावजूद भी आप संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली के दंगल में मजबूती से खड़े हुए हैं। केजरीवाल की जो सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति है वह उनकी ईमानदार छवि है। वहीं दिल्ली की जनता पढ़ी-लिखी और अपने विवेक का उपयोग करना जानती है। दिल्ली में न ही तो जाति के नाम पर वोट दिए जाते हैं और न लोक लुभावन वादों पर।
दिल्ली की जनता बदलाव चाहती है। उसे विकास चाहिए। इसकी बानगी लोकसभा चुनाव 2014 में देखने को मिली जब विकास के एजेंडे पर नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में सबसे अधिक 32 सीटें जीती लेकिन वहीं पहली पार चुनाव लड़ रहे पूर्व IRS ऑफिसर अरविंद केजरीवाल ने मोदी का खेल बिगाड़ दिया और अपनी ईमानदार छवि और भ्रष्टाचार मुक्त भारत अभियान से दिल्ली में 28 सीटें झटक लीं और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर 49 दिन की सरकार भी चला ली। उनके 49 दिनों के काम में दिल्ली की जनता, केजरीवाल की ईमानदार छवि से अच्छे से परिचित हो गई। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि केजरीवाल के 49 दिन की सरकार से दिल्ली के प्रशासनिक महकमों में हड़कंप मच गया था, कोई भी अधिकारी और कर्मचारी रिश्वत लेने से घबराता था क्योंकि केजरीवाल तुरंत कार्रवाई कर निलंबित कर देते थे।
जब 2013 में पहली बार चुनावी मैदान में कूदे केजरीवाल को दिल्ली की जनता ताज पहना सकती है तो मोदी सरकार के 7 महीनों के कार्याकाल में हिंदुवादी ताकतों के उग्र होने से, देश में सांप्रदायिकता फैलाने से और एक के बाद एक बीजेपी के संत नेताओं द्वारा विवादित बयान देने से मोदी के विकास के एजेंडे को दिल्ली में झटका लगने की संभावना है, ऐसे में इन तीन देवियों से शायद बीजेपी को ज़ोर का झटका न लगे, वरना राजनीति अनिश्चित कही जाती है। कल कौन किस पर भारी पड़े, समय ही बताएगा......