उज्जैन: मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर शाख और ज्येष्ठ मास की गर्मी के चलते मिट्टी के कलशों से जलधारा प्रवाहित होगी। रविवार को वैशाख मास शुरू होते ही मिट्टी की गलंतिका (कलश) बांधी गई हैं, जो दो महीने तक रहेगी। इनसे रोजाना प्रातः 6 से शाम 4 बजे तक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर ठंडे जल की धारा प्रवाहित होगी।
दरअसल मंदिर की परंपरा के मुताबिक, वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तक दो महीने गलंतिका बांधी जाती है। पुजारियों के मुताबिक, वैशाख व ज्येष्ठ मास में ज्यादा गर्मी होती है। भीषण गर्मी में बाबा महाकाल को शीतलता प्रदान करने के लिए मिट्टी के कलशों से जलधारा प्रवाहित की जाती है। 2 महीने तक रोजाना प्रातः 6 बजे से शाम 4 बजे तक गलंतिका बंधेगी। पुजारी प्रदीप गुरु के मुताबिक, समुद्र मंथन के वक़्त महादेव ने गरल (विष) पान किया था। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, गरल अग्निशमन के लिए ही शिव का जलाभिषेक किया जाता है।
वही गर्मी के दिनों में विष की उष्णता (गर्मी) और भी बढ़ जाती है। इसलिए वैशाख तथा ज्येष्ठ मास में महादेव को शीतलता प्रदान करने के लिए मिट्टी के कलश से ठंडे पानी की जलधारा प्रवाहित की जाती है। महादेव के शीश के ऊपर मिट्टी के कलश बांधने को गलंतिका कहते हैं। महाकाल मंदिर की परंपरा मुताबिक, वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से ज्येष्ठ पूर्णिमा तक दो महीने प्रातः 6 बजे से शाम 4 बजे तक गलंतिका बांधी जाती है। इसमें 11 मिट्टी के कलश होते हैं। इसी प्रकार मंगलनाथ व अंगारेश्वर महादेव मंदिर में भी वैशाख कृष्ण प्रतिपदा से गलंतिका बांधी जाएगी।
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