भारत की खोज सड़कों पर सफर करते हुए की जा सकती है. उन विहंगम छटाओं को जिसे देखकर आपकी जुबान से तुरंत ही उसकी प्रशंसा में शब्द निकल ही जायेंगे. अतुल्य भारत और उसकी प्राकृतिक छटा को महानगरों में नहीं बल्कि इन सड़कों के दोनों ओर देखा जा सकता है. गाड़ियों की खिड़कियों से क्षण-प्रतिक्षण तेजी से गुजरते हुए वन, धान के खेत, हिमाच्छिदत पहाड़ों की चोटियाँ किसी के भी सफर को सुहाना बनाने हैसियत रखते हैं.
रोमांचक और मनोरम यात्रा के लिये प्रमुख स्थान -
खारदुंग ला दर्रा -
लेह से 40 किमी दूर खारदुंग ला दर्रा मध्य एशिया में कशगर को लेह से जोड़ने वाला ऐतिहासिक मार्ग है. समुद्र तल से लगभग 5602 मीटर (18,380 फीट) की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा विश्व का सबसे ऊँचा दर्रा है. "श्योक"और "नुब्रा" घाटियों को जोड़ने वाला यह दर्रा मोटर साइकिल और पहाड़ों के बाइक अभियान के लिए विश्व प्रसिद्ध है.
रोहतांग दर्रा -
समुद्र तल से 4,111 मीटर की ऊँचाई पर स्थित रोहतांग दर्रा हिमालय (भारत) में स्थित एक प्रमुख दर्रा है. हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक इस दर्रे को लाहोल और स्पीति जिलों का प्रवेश द्वार कहा जाता है.
कोंकण राष्ट्रीय राजमार्ग 17 -
पाँवेल के जरिये मुम्बई को कोच्चि से जोड़ने वाली 582 किलोमीटर की यह सड़क महाराष्ट्र, गोवा, केरल और कर्नाटक को जोड़ती है. मुम्बई-गोवा राजमार्ग के नाम से जानी जाने वाली यह सड़क पहाड़ियों, नदियों और वनों से गुजरते हुए पश्चिम में अरब सागर की ओर जाती है जिसके दोनों ओर धान के खेत और नारियल के पेड़ एक विहंगम दृश्य की रचना करते दिखते हैं.
किन्नौर मार्ग -
पहाड़ियों को नज़दीक से देखने के श़ौकीन लोगों के लिये शिमला से किन्नौर का रास्ता चरम सुख देने वाला हो सकता है. इस मार्ग पर सफर करते हुए शाहबलूत से बुरूंश और लाल-पीले सेबों के ब़ागों से होते हुए किन्नौर कैलाश चोटी के जरिये प्रकृति को अपनी मनमोहक छवि को बदलते देखा जा सकता है.
गंगटोक युकसोम मार्ग -
पूर्वी हिमालय के गोद में बनी यह सड़क गंगटोक से शुरू होकर हिमाच्छादित पहाड़ियों से होकर गुजरती है. शक्तिशाली कंचनजंगा अथवा भारत और चीन की सीमाओं को बाँटने वाली नाथू ला दर्रे को देखने के लिये इस सड़क के सहारे युकसोम तक जाना पड़ता है.