यह शिवलिंग तंत्र-मंत्र की दृष्टि से भी खास माना गया है
यह शिवलिंग तंत्र-मंत्र की दृष्टि से भी खास माना गया है
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पवित्र माह सावन में खासतौर से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने पर भगवान की कृपा सदैव भक्तों पर बनी रहती है। इस मौके पर हम आपको उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं। मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर भगवान का प्रमुख मंदिर है। यह मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
 
यह दुनिया का एकमात्र ऐसा दक्षिणमुखी शिवलिंग है, जो तंत्र-मंत्र की दृष्टि से भी खास महत्वपूर्ण माना गया है। भस्म की आरती सुबह - भस्म आरती एक रहस्यमयी व असामान्य अनुष्ठान है, जो विश्वभर में सिर्फ उज्जैन के महाकाल मंदिर में किया जाता है। महाकाल मंदिर में आयोजित होने वाले विभिन्न दैनिक अनुष्ठानों में दिन का पहला अनुष्ठान भस्म आरती होती है। 

ऐसी मान्यताएं हैं कि भगवान शिव को जगाने व उनका श्रृंगार करने के लिए सुबह 4 बजे यह आरती की जाती है। भस्म आरती के दौरान महिलाओं का वहां रहना वर्जित है। पुराण-महाभारत में मिलता है वर्णन- पुराणों, महाभारत व कई रचनाओं में भी इस मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है। माना जाता है कि इनके दर्शन मात्र से ही लोगों को मोक्ष प्राप्त हो जाता है। उज्जैन में महाकाल को ही राजा माना जाता है, इसलिए महाकाल की इस नगरी में और कोई भी राजा कभी रात में यहां नहीं ठहरता है।
 
क्यों की जाती है भस्म आरती

शिवपुराण के अनुसार भस्म सृष्टि का सार है। एक दिन पूरी सृष्टि इसी राख के रूप में परिवर्तित होनी है। सृष्टि के सार भस्म को भगवान शिव सदैव धारण किए रहते हैं। इसका अर्थ है कि एक दिन यह संपूर्ण सृष्टि शिवजी में विलीन हो जाएगी। 

कैसे होता है तैयार

भस्म तैयार करने के लिए कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर के वृक्ष की लकडि़कों को एक साथ जलाया जाता है। इस दौरान उचित मंत्रोच्चार भी किए जाते हैं। इन चीजों को जलाने पर जो भस्म प्राप्त होती है, उसे कपड़े से छान लिया जाता है। इस प्रकार, तैयार की गई भस्म भगवान शिव को अर्पित की जाती है। 

पापों से मिलेगी मुक्ति

ऐसी मान्यताएं हैं कि शिवजी को अर्पित की गई भस्म का तिलक लगाना चाहिए। जिस प्रकार भस्म से कई प्रकार की वस्तुएं शुद्ध व साफ की जाती हैं, उसी प्रकार भगवान शिव को अर्पित की गई भस्म का तिलक लगाने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी। साथ ही, कई जन्मों के पापों से भी मुक्ति मिल जाएगी।

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