यही पर काटा था परशुराम ने गणेश जी का दांत
यही पर काटा था परशुराम ने गणेश जी का दांत
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दंतेश का क्षेत्र (वाड़ा) को दंतेवाड़ा कहा जाता है. इस क्षेत्र में एक कैलाश गुफा भी है. इस क्षेत्र से सम्बंधित एक किंवदंती यह चली आ रही है कि यह वही कैलाश क्षेत्र है जहां पर गणेश एवं परशुराम के मध्य युद्ध हुआ था. यही कारण है कि दंतेवाड़ा से ढोल कल पहुंचने के मार्ग में एक ग्राम परस पाल मिलता है, जो परशुराम के नाम से जाना जाता है. इसके आगे ग्राम कोतवाल पारा आता है. कोतवाल अर्थात् रक्षक के रूप में गणेश जी का क्षेत्र होने की जानकारी मिलती है.

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार परशुराम जी शिवजी से मिलने कैलाश पर्वत गए. उस समय शिवजी विश्राम में थे. गणेश जी उनके रक्षक के रूप में विराजमान थे. गणेश जी ने परशुराम जी को शिवजी से मिलने से रोका तो परशुराम जी क्रोधित हो गए और गुस्से में उन्होंने अपने फरसे से गणेश जी का एक दांत काट दिया तब से गणेश जी एकदंत कहलाए.

पहाड़ी पर स्थापित 6 फीट ऊंची 21/2 फीट चौड़ी ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित यह प्रतिमा वास्तुकला की दृष्टि से अत्यन्त कलात्मक है. गणपति की इस प्रतिमा में ऊपरी दांये हाथ में फरसा, ऊपरी बांये हाथ में टूटा हुआ एक दंत, नीचे दांये हाथ में अभय मुद्रा में अक्षमाला धारण किए हुए तथा नीचे बांये हाथ में मोदक धारण किए हुए आयुध के रूप में विराजित है. पुरात्वविदों के मुताबिक इस प्रकार की प्रतिमा बस्तर क्षेत्र में कहीं नहीं मिलती है.

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