इस खतरनाक ​वायरस से रहे सावधान, फोन से सब कुछ चुरा सकता है
इस खतरनाक ​वायरस से रहे सावधान, फोन से सब कुछ चुरा सकता है
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आज हम इस खास पोस्ट में एक ऐसे ऐप के बारे में सोचिए जो बिना आपको पता चले पहले तो ऐंड्रॉयड डिवाइस में इंस्टॉल हो जाता है और आपके पर्सनल डेटा से लेकर फोटो, विडियो और यह तक स्कैन करता है कि आप क्या टाइप कर रहे हैं. यह खतरनाक ऐप दरअसल एक तरह का वायरस है, जिसे आपके बारे में सब कुछ पता करना होता है. यह वायरस चुपके से फोटो क्लिक सकता है और आपको पता चले बिना विडियो रिकॉर्ड करता है. हर ऐप को स्कैन करने के साथ ही ऐप हिस्ट्री और लोकेशन डीटेल्स भी ट्रैक करता है. इस तरह आप स्मार्टफोन पर जो कुछ भी करते हैं, वह यह वायरस या मैलवेयर प्लांट करने वाले को पता चल जाता है. आइए जानते है पूरी जानकारी विस्तार से 

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि एक स्मार्टफोन यूजर के लिए यह किसी डरावने सपने से कम नहीं लेकिन ऐसा बिल्कुल मुमकिन है. मोबाइल सिक्यॉरिटी फर्म Lookout ने इस ऐंड्रॉयड मैलवेयर का पता लगाया है. Monokle नाम के इस मैलवेयर को लेकर दावा है कि इसे रूस की एक कंपनी स्पेशल टेक्नॉलजी सेंटर ने डिवेलप किया है. दरअसल, Monokle केवल एक मैलवेयर नहीं बल्कि कस्टम ऐंड्रॉयड सर्विलांस टूल्स का एक सेट है. इस मैलवेयर को किसी भी व्यक्ति पर नजर रखने और उसे निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जो बात इसे मौजूदा वक्त का सबसे खतरनाक मैलवेयर बनाती है.मोबाइल सिक्यॉरिटी फर्म लुकआउट ने एक ब्लॉग पोस्ट में इस बारे में लिखा, 'लुकआउट ने Monokle का पता 2018 में लगाया था और रिसर्च के दौरान हमें पता चला कि ये टूल्स कुछ टारगेटेड कैंपेन का हिस्सा हैं और इन्हें रूस के पीटर्सबर्ग की कंपनी स्पेशल टेक्नॉलजी सेंटर (एसटीसी) ने डिवेलप किया है. इस कंपनी का नाम 2016 के यूएस प्रेजिडेंशल इलेक्शन में जीआरयू को मटीरियल सपॉर्ट देने में भी सामने आया था.' रिसर्चर्स ने कहा, 'मोनोकल रिमोट ऐक्सेस ट्रोजन (रैट) फंक्शन की मदद से अडवांस डेटा एकफिल्टरेशन टेक्निक इस्तेमाल करता है. इस तरह इन्फेक्टेड डिवाइस के ट्रस्टेड सर्टिफिकेट्स की जगह यह अटैकर-स्पेसिफाइड सर्टिफिकेट इंस्टॉल कर देता है.'

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अपने बयान में रिसर्चर्स का कहना है कि ट्रस्टेड सर्टिफिकेट की जगह दूसरे सर्टिफिकेट इंस्टॉल होने के बाद मैन-इन-द-मिडिल (MITM) अटैक्स का रास्ता खुल जाता है. रिसर्चर्स का दावा कि ऐसा 'बीते लंबे वक्त में पहली बार' देखने को मिला है. बताते चलें, ऐसा ही एक मामला बीते दिनों भी सामने आया था, जब इजराइल की कंपनी एनएसओ ग्रुप की ओर से बनाए गए मैलवेयर Pegasus से जुड़ा नया अपडेट एक फर्म ने शेयर किया था. फाइनेंशल टाइम्स की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि Pegasus का अपडेटेड वर्जन यूजर्स का गूगल, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, ऐमजॉन और ऐपल आईक्लाउड तक के सर्वर में स्टोर डेटा चुरा सकता है.

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