ऐसे हुई थी विश्व रेबीज दिवस की शुरुआत
ऐसे हुई थी विश्व रेबीज दिवस की शुरुआत
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संक्रमण के केसों में कमी के बावजूद हम अभी भी कोरोना महामारी की चपेट में हैं लेकिन कई दूसरी वायरल बीमारियां हैं जिसके बारे में हमें खुद को शिक्षित करना जरुरी है। आज का दिन ‘विश्व रेबीज दिवस’ सेलिब्रेट किया जा रहा है। 28 सितंबर को हर वर्ष विश्व भर में विश्व रेबीज दिवस सेलिब्रेट किया जाता है। आज के दिन को फ्रांसिस वैज्ञानिक लुईस पाश्चर की बरसी के तौर पर भी याद भी जाता है। लुईस पाश्चर ने पहली बार रेबीज की वैक्सीन का विकास कर मेडिकल जगत को अनमोल गिफ्ट भी दिया है। रेबीज एक जूनोटिक बीमारी है जो जानवरों से इंसानों में फैलती है। जिसकी वजह से लायसावायरस। शरीर में ये वायरस कुत्ते, बिल्ली और बंदर जैसे जानवरों के काटने से प्रवेश कर जाता है। 

विश्व रेबीज दिवस का इतिहास: विश्व रेबीज दिवस पहली बार 28 सितंबर, 2007 को सेलिब्रेट किया गया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन, अमेरिका और एलायंस फोर रेबीज कंट्रोल के मध्य साझेदारी में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अंतरराष्ट्रीय अभियान की शुरुआत दुनिया में रेबीज के प्रतिकूल प्रभावों से पीड़ित होने के बाद की गई थी। 

विश्व रेबीज दिवस का महत्व: बता दें कि विश्व रेबीज दिवस को मनाने का मकसद रेबीज पर जागरुकता फैलाने और बीमारी की रोकथाम को बढ़ावा देना है । रेबीज एक वायरल बीमारी है जो इंसानों और जानवरों में दिमाग की सूजन की वजह बन जाती है। बीमारी का लोगों में आतंक स्वीकार करने के लिए ये महत्वपूर्ण दिन है। दिवस जानवरों की बेहतर देखभाल और रेबीज जैसी प्रतिकूल स्थितियों से निपटने की जानकारी फैलाने पर फोकस कर रहा है। 

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