रामायण के समय के ये महत्वपूर्ण पात्र आज भी पृथ्वी पर मौजूद है
रामायण के समय के ये महत्वपूर्ण पात्र आज भी पृथ्वी पर मौजूद है
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प्रकृति का नियम है कि जिसने इस धरती पर जन्म लिया है उसे एक दिन मृत्यु अवश्य आना है, विज्ञान भी इस बात का समर्थन करता है कि इस संसार में सभी कि आयु निश्चित है जो एक दिन समाप्त हो जाना है. किन्तु हमारे शास्त्रों में कुछ ऐसे पात्रों का वर्णन किया गया है जो चिरंजीव है और आज भी पृथ्वी पर उपस्थित है ऐसे ही कुछ पात्र है जो रामायण काल से पृथ्वी पर विद्यमान है. तो आइये जानते है.

हनुमान जी – शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी को माता सीता ने प्रसन्न होकर चिरंजीव होने का वरदान दिया था इसलिए आज भी यह पृथ्वी पर विद्यमान है जिसका साक्ष्य रामायण काल के लाखों वर्ष बाद महाभारत में देखने को मिलता है ऐसा माना जाता है कि महाभारत युद्ध में हनुमान जी सम्पूर्ण पृथ्वी का भार अपने कंधे पर लेकर अर्जुन के रथ में लगे ध्वज पर सवार थे. विद्द्वानों का मानना है की कलयुग में सबसे अधिक हनुमान जी की शक्ति ही कार्यशील होगी.

परशुराम – रामायण काल में श्रीराम विवाह के समय परशुराम वहां आये थे यह भी भगवान् विष्णु के अवतार माने जाते है इनका जन्म ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र के रूप में हुआ था. परशुराम के चार भाई थे वसुमान, वसुषेण, वसु व विश्वावसु. परशुराम का नाम पूर्व में राम था जिन्होंने भगवान् शिव की घोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया था. भगवान् शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें परशु प्रदान किया जिसके कारण इन्हें परशुराम के नाम से जाना गया. महाभारत काल में परशुराम जी ने ही कर्ण को धनुर्विद्या ज्ञान दिया था.

विभीषण – विभीषण के विषय में भी कहा जाता है कि लंका विजय के बाद भगवान् राम ने इन्हें लंका का राजा बनाया था और इनके आज भी जीवित होने की बात कही जाती है.

 

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